फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी और रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। रंगभरी एकादशी होली के कुछ दिन पहले मनाई जाती है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती काशी गए थे। बताया जाता है कि महाशिवरात्रि के पश्चात् रंगभरी एकादशी के दिन ही माता पार्वती का गौना हुआ था। अतः इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन काशी में भव्य झांकियां निकाली जाती हैं और लोग रंगों से होली खेलते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
आमलकी / रंगभरी एकादशी – व्रत और पूजा विधि
रंगभरी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें। व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जल रहें। रात्रि में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें। अगले दिन सुबह स्नान करके निर्धारित समय के अनुसार व्रत का पारण करें।
रंगभरी एकादशी के पूजन के लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद एक लोटे में जल भरकर उसमें कच्चा दूध, शहद, गंगाजल और चावल आदि मिलाएं। भगवान शिव के मंदिर में जाकर उनका अभिषेक करें। साथ ही, महिलाएं माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित कर सकती हैं। भगवान शिव को बेलपत्र आदि चढ़ाएं। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें और भगवान शिव को अबीर और गुलाल चढ़ाएं। अंत में भगवान शिव और माता पार्वती से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
रंगभरी एकादशी का शुभ मुहूर्त
- रंगभरी एकादशी का आरंभ: 19 मार्च 2024, रात 12:22 बजे
- रंगभरी एकादशी समापन: 20 मार्च 2024, रात 2:23 बजे
- व्रत का पारण: 21 मार्च 2024, सुबह 9 बजे से पहले
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पूछे जाने वाले प्रश्न
आमलकी /रंगभरी एकादशी कब है?
रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष में आती है। वर्ष 2024 में रंगभरी एकादशी 19 मार्च को रात 12:22 बजे से प्रारंभ होकर 20 मार्च को रात 2:23 बजे तक रहेगी।
आमलकी / रंगभरी एकादशी का क्या महत्व है?
आमलकी / रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती काशी गए थे और माता पार्वती का गौना हुआ था। इस दिन काशी में भव्य झांकियां निकाली जाती हैं और लोग रंग खेलकर होली का आगाज करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
रंगभरी एकादशी की पूजा विधि क्या है?
आमलकी एकादशी के दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें। व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जल रहें। रात्रि में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें। अगले दिन सुबह स्नान करके निर्धारित समय के अनुसार व्रत का पारण करें। पूजन के लिए स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। एक लोटे में जल भरकर उसमें कच्चा दूध, शहद, गंगाजल और चावल आदि मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। महिलाएं चाहें तो माता पार्वती को श्रृंगार का सामान भी अर्पित कर सकती हैं। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाएं, शिवलिंग पर चंदन का लेप करें और भगवान शिव को अबीर और गुलाल चढ़ाएं। अंत में भगवान शिव और माता पार्वती से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
आमलकी / रंगभरी एकादशी को कौन-से रंग खेले जा सकते हैं?
आमलकी / रंगभरी एकादशी के पर्व पर प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। आप होली के लिए बाजार में मिलने वाले हर्बल रंगों का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, हल्दी, चुकंदर, और मेहंदी से बने रंग त्वचा के लिए भी हानिकारक नहीं होते हैं और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।