शिव जी

Shiv Ji Ki Aarti : शिव जी की आरती , जय शिव ओंकारा…

हिंदू धर्म में, भगवान शिव जी को सृष्टि के विध्वंसक और साथ ही कल्याणकारी दोनों के रूप में जाना जाता है। उन्हें अनादि और अनंत माना जाता है, जिसका अर्थ है कि उनकी न तो कोई शुरुआत है और न ही अंत। वह ब्रह्मांड के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शिव जी की आरती

शिव जी के विभिन्न स्वरूप

भगवान शिव के कई रूप हैं, जिनमें से प्रत्येक का एक विशिष्ट अर्थ होता है। उन्हें अक्सर शिवलिंग के रूप में दर्शाया जाता है, जो ब्रह्मांड का प्रतीक है। उन्हें भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “सरल स्वभाव वाला।” महाकाल के नाम से भी जाने जाते हैं, जो “समय के भगवान” का अर्थ है। उनका यह स्वरूप इस बात का प्रतीक है कि समय सभी का नाश करता है।

शिव जी की पूजा का महत्व

सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। पूजा के दौरान, शिव चालीसा, मंत्रों और आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है।

शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा, जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे , हंसानन गरुड़ासन, वृषवाहन साजे ॥ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज, दस भुज अति सोहे , त्रिगुण रूपनिरखता, त्रिभुवन जन मोहे ॥ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला बनमाला, रुण्डमाला धारी , चंदन मृगमद सोहे, भाले शशिधारी ॥ जय शिव ओंकारा

श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे , सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे ॥ जय शिव ओंकारा

कर के मध्य कमंडलु, चक्र त्रिशूल धर्ता , जगकर्ता जगभर्ता, जगसंहारकर्ता ॥ जय शिव ओंकारा

काशी में विश्वनाथ, विराजत नन्दी ब्रह्मचारी , नित उठि भोग लगावत, महिमा अति भारी ॥ जय शिव ओंकारा

त्रिगुण शिवजी की आरती, जो कोई नर गावे , कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ जय शिव ओंकारा

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पूछे जाने वाले प्रश्न

भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में क्यों दर्शाया जाता है?

भगवान शिव को अक्सर शिवलिंग के रूप में दर्शाया जाता है क्योंकि यह ब्रह्मांड का प्रतीक है। शिवलिंग एक अंडाकार पत्थर होता है जिसका आधार च चौकोर होता है। अंडाकार भाग ब्रह्मांड का प्रतीक है, जबकि चौकोर आधार स्थिरता और शक्ति का प्रतीक है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि भगवान शिव सृष्टि के निर्माता और विध्वंसक दोनों हैं।

भगवान शिव को भोलेनाथ क्यों कहा जाता है?

भगवान शिव को भोलेनाथ “सरल स्वभाव वाला” के रूप में जाना जाता है। यह नाम उनकी दयालुता और क्षमाशील स्वभाव को दर्शाता है। कहा जाता है कि वह आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की सच्ची भक्ति को स्वीकार करते हैं। भले ही उनकी पूजा सरल चीजों से की जाए, फिर भी वह प्रसन्न होते हैं।

सोमवार का दिन भगवान शिव को क्यों समर्पित है?

सोमवार का दिन चंद्रमा के देवता चंद्र को समर्पित है। भगवान शिव को चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करने के लिए जाना जाता है। इसलिए, सोमवार को भगवान शिव की पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति को उनका आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।

शिव जी की पूजा करने से क्या लाभ होते हैं?

शिव जी की पूजा करने से कई लाभ होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
मन की शांति और आंतरिक सद्भाव प्राप्त करना
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना, जिससे जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है
नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करना
आध्यात्मिक विकास और मोक्ष की प्राप्ति

शिव जी की आरती करने का क्या महत्व है?

शिव जी की आरती करना भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक तरीका है। आरती के मंत्र भगवान की महिमा का गुणगान करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनका आह्वान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से शिव जी की आरती करने से व्यक्ति को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

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