संकष्टी चतुर्थी

Sankasthi Chaturthi August 2024 : संकष्टी चतुर्थी अगस्त 2024 किस तारीख को है, तिथि, लाभ, पौराणिक कथा

संकष्टी चतुर्थी, जिसे गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है और भगवान गणेश, बुद्धि और सौभाग्य के देवता को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सुख, समृद्धि, बुद्धि और विघ्नहर्ता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए इस लेख में संकष्टी चतुर्थी 2024 के बारे में विस्तार से जानें, जिसमें तिथि, पूजा विधि, व्रत के लाभ, पौराणिक कथाएं और पालन करने योग्य महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं।

Sankasthi Chaturthi August 2024

संकष्टी चतुर्थी 2024 की तिथि

साल 2024 में, संकष्टी चतुर्थी का पर्व 22 अगस्त 2024 गुरूवार को मनाया जाएगा।

संकष्टी चतुर्थी के लाभ

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने के अनेक लाभ बताए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  • भगवान गणेश का आशीर्वाद: माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
  • सुख और समृद्धि: इस व्रत को करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  • विघ्नहर्ता का आशीर्वाद: भगवान गणेश विघ्नहर्ता के रूप में जाने जाते हैं। इस व्रत को करने से जीवन के रास्ते में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।
  • बुद्धि और विद्या की प्राप्ति: भगवान गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में भी जाना जाता है। इस व्रत को करने से बुद्धि का विकास होता है और विद्या प्राप्त करने में सफलता मिलती है।
  • मन की शांति: इस व्रत को करने से मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा

पहली कथा के अनुसार, एक बार भगवान गणेश चंद्रमा को देखकर हंसे थे। चंद्रमा को यह बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने भगवान गणेश को श्राप दिया कि उनका सिर गायब हो जाएगा। श्राप के प्रभाव से भगवान गणेश का सिर गायब हो गया। बाद में, भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें एक हाथी का सिर प्रदान किया।

संकष्टी चतुर्थी 2024: पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी के शुभ दिन पर भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में:

पूजा की तैयारी:

  • पूजा से एक दिन पहले स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और चौकी या आसन बिछाएं।
  • भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। आप धातु, मिट्टी या चित्र वाली प्रतिमा का उपयोग कर सकते हैं।
  • पूजा की आवश्यक सामग्री जैसे गंगाजल, रोली, मौली, धूप, दीप, फल, फूल, दूब, पान का पत्ता, सुपारी, बताशा आदि इकट्ठा कर लें।

पूजा विधि:

  1. प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. संकल्प: पूजा स्थल पर बैठकर संकल्प लें। संकल्प में अपना नाम, गोत्र, स्थान और तिथि बताते हुए “मैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत धर्मपूर्वक करने का संकल्प लेता/लेती हूं” जैसे वाक्य कहें।
  3. आसन ग्रहण: आसन पर बैठ जाएं और आसन को स्पर्श कर गणेश जी का ध्यान करें।
  4. पंचामृत स्नान: सबसे पहले भगवान गणेश की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं।
  5. स्नान उपरांत: स्नान के बाद भगवान गणेश को शुद्ध जल से स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं।
  6. अभिषेक: इसके बाद भगवान गणेश का दूध, दही, शहद या इत्र से अभिषेक करें।
  7. आभूषण और तिलक: भगवान गणेश को आभूषण अर्पित करें और उनके माथे पर तिलक लगाएं।
  8. पत्ते और पुष्प अर्पण: भगवान गणेश को दूब घास, धतूरे के फूल और उनके प्रिय मोदक का भोग लगाएं।
  9. धूप और दीप: धूप जलाएं और घी का दीपक ज्योति प्रज्वलित करें।
  10. मंत्र जप: “ॐ गणेशाय नमः” या “गणेश चालीसा” का पाठ करें।
  11. आरती: भगवान गणेश की आरती करें।
  12. हवन (वैकल्पिक): आप चाहें तो पूजा के दौरान हवन भी कर सकते हैं।
  13. पारायण (वैकल्पिक): आप गणेश पुराण या गणेश स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
  14. व्रत का समापन: शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का समापन करें। फलाहार ग्रहण करें।

ध्यान दें: यह एक सामान्य पूजा विधि है। आप अपने क्षेत्र के विद्वान या पुजारी से सलाह लेकर विधि में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

संकष्टी चतुर्थी के पवित्र दिन कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। ये बातें इस प्रकार हैं:

  • व्रत का पालन: संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखना आवश्यक होता है। इस दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फल, दूध या साबूदाना आदि का सेवन कर सकते हैं।
  • ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  • सात्विक भोजन: व्रत के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करें। मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।

संकष्टी चतुर्थी के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

  • सकारात्मक विचार: पूरे दिन सकारात्मक विचार रखें और क्रोध, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों से बचें।
  • दान का महत्व: संकष्टी चतुर्थी के दिन दान करने का विशेष महत्व है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
  • स्वास्थ्य का ध्यान: यदि आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं या किसी खास डाइट पर हैं, तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • ईमानदारी और सत्य: व्रत के दौरान सत्य बोलें और ईमानदारी का पालन करें। किसी की बुराई न करें।

संकष्टी चतुर्थी के उपाय

संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से आप अपने मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। ये उपाय वैकल्पिक हैं और आप अपनी इच्छानुसार इन्हें अपना सकते हैं।

  • संतान प्राप्ति के लिए: यदि आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं तो संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को पीले रंग का मोदक चढ़ाएं और उनकी कृपा प्राप्त करें।
  • कार्य सिद्धि के लिए: कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दूर्वा की 21 गांठ अर्पित करें और उनका ध्यान करें।
  • शिक्षा में सफलता के लिए: शिक्षा में सफलता पाने के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को पीली किताब चढ़ाएं और उनका आशीर्वाद लें।
  • धन प्राप्ति के लिए: धन लाभ प्राप्त करने के लिए संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को पीले वस्त्र पहनाएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

ध्यान दें: उपरोक्त उपायों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यह पूरी तरह से आपकी आस्था पर निर्भर करता है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है बल्कि सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्व है।

  • धार्मिक महत्व: संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सुख, समृद्धि, बुद्धि और विघ्नहर्ता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • सामाजिक महत्व: संकष्टी चतुर्थी के व्रत से लोगों में धैर्य, संयम और अनुशासन का भाव पैदा होता है। साथ ही दान करने की प्रथा से समाज में सौहार्द का वातावरण बनता है।
  • वैज्ञानिक महत्व: व्रत रखने से शरीर को आराम मिलता है और पाचन तंत्र मजबूत होता है। सात्विक भोजन करने से शरीर स्वस्थ रहता है।

उपसंहार

संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की आराधना का पवित्र पर्व है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त होता है। उम्मीद है कि यह लेख आपको संकष्टी चतुर्थी 2024 के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। आप इस शुभ दिन पर विधि-विधान से पूजा करके भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

संकष्टी चतुर्थी का व्रत क्यों रखा जाता है?

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सुख, समृद्धि, बुद्धि और विघ्नहर्ता का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, इस व्रत को रखने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, कार्यों में सफलता मिलती है, मन को शांति प्राप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

संकष्टी चतुर्थी के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

संकष्टी चतुर्थी के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे:
व्रत का पालन करें और अन्न का सेवन न करें। आप फल, दूध या साबूदाना का सेवन कर सकते हैं।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
सात्विक भोजन का सेवन करें। मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
पूरे दिन सकारात्मक विचार रखें और क्रोध, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों से बचें।
दान का महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य लाभ प्राप्त करें।

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