मासिक शिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव की आराधना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जून 2024 में, मासिक शिवरात्रि 4 जून, मंगलवार को पड़ रही है। आइए, इस लेख में हम जून 2024 की मासिक शिवरात्रि की तिथि, लाभ, पूजा विधि, महत्व और कुछ रोचक जानकारियों के बारे में विस्तार से जानें।
जून 2024 में मासिक शिवरात्रि की तिथि और शुभ मुहूर्त
जैसा कि बताया गया है, जून 2024 में मासिक शिवरात्रि 4 जून, मंगलवार को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 3 जून, सोमवार को प्रातः 4 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होगी और 4 जून, मंगलवार को रात्रि 1 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी।
कुछ भक्त मासिक शिवरात्रि के व्रत को चतुर्दशी तिथि के प्रारंभ से ही रखना शुरू कर देते हैं, जबकि कुछ लोग सूर्योदय के बाद व्रत आरंभ करते हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार व्रत रख सकते हैं।
लाभ
मासिक शिवरात्रि व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की सच्ची श्रद्धा से पूजा करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- पापों का नाश: ऐसा माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने और भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है।
- मन की शांति: भगवान शिव को शांति के देवता के रूप में जाना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने और ध्यान करने से मन को शांति मिलती है और नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
- मनोकामना पूर्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने और मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- स्वास्थ्य लाभ: मासिक शिवरात्रि के व्रत में सात्विक भोजन ग्रहण करने और उपवास करने से शरीर शुद्ध होता है, जिससे स्वास्थ्य लाभ होता है।
- ग्रहों का शांत होना: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने और पूजा करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और ग्रह शांत होते हैं।
विधि-विधानपूर्वक पूजा
मासिक शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधानपूर्वक पूजा करना आवश्यक है। पूजा विधि निम्नलिखित चरणों में की जा सकती है:
- स्नान और स्वच्छ वस्त्र: मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान की साफ-सफाई: अपने पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और गंगाजल से उसका शुद्धिकरण करें।
- मंडप निर्माण : आप चाहें तो अपने पूजा स्थान पर आसन बिछाकर उस पर मंडप का निर्माण कर सकते हैं।
- स्नान (आवश्यक): शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं।
- अभिषेक : इसके बाद, शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं। आप चाहें तो भांग, धतूरा (शास्त्रीय ग्रंथों में विवादित है, सावधानी से इस्तेमाल करें), आक के फूल, और जवाहर आदि भी चढ़ा सकते हैं। (ध्यान दें कि कुछ पौधे और फूल शिव पूजा में वर्जित माने जाते हैं, इसलिए शास्त्रीय सलाह लें)।
- वस्त्र और आभूषण: आप शिवलिंग को वस्त्र भी अर्पित कर सकते हैं और उनका श्रृंगार कर सकते हैं।
- दीप प्रज्वलन : शिवलिंग के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और धूप जलाएं।
- मंत्र जप : “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें या शिव चालीसा, रुद्राष्टक, या आपके इष्ट शिव मंत्र का पाठ करें।
- आरती : भगवान शिव की आरती करें और उनकी स्तुति करें।
- नैवेद्य : भगवान शिव को भोग लगाएं। आप उन्हें फल, मिठाई, या सात्विक भोजन अर्पित कर सकते हैं।
- फल का वितरण : पूजा के बाद प्रसाद के रूप में फलों का वितरण करें।
- शांति पाठ : आप चाहें तो शिव शनानादि स्तोत्र या शिव संकल्प स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
- रात्रि जागरण : कुछ भक्त मासिक शिवरात्रि की रात्रि में जागरण भी करते हैं और भगवान शिव का ध्यान लगाते हैं।
- ध्यान दें: यह पूजा विधि उदाहरण मात्र है। आप अपनी आस्था और सुविधा के अनुसार पूजा विधि में थोड़ा बहुत परिवर्तन कर सकते हैं।
मासिक शिवरात्रि से जुड़ी रोचक जानकारी
- मासिक शिवरात्रि से जुड़ी रोचक जानकारी
- मासिक शिवरात्रि से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां भी हैं, जिन्हें जानना आपके लिए रोचक हो सकता है:
- शहर-ए-खुर्जा और मासिक शिवरात्रि: उत्तर प्रदेश के शहर खुर्जा में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यहां हर माह शिवरात्रि के दिन विशाल मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेले में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
- शिवरात्रि और ज्योतिर्लिंग: भारत में 12 ज्योतिर्लिंग माने जाते हैं। इन ज्योतिर्लिंगों में से कुछ में साल में एक बार महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
- विवाहित जीवन में सुख: कुछ मान्यताओं के अनुसार, विवाहित जीवन में सुख और सौभाग्य प्राप्त करने के लिए स्त्रियां मासिक शिवरात्रि का व्रत रखती हैं और भगवान शिव की आराधना करती हैं।
- मासिक शिवरात्रि का पर्व आध्यात्मिक जागरण और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन व्रत रखकर और पूजा करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति, मनोवांछित फल की प्राप्ति, और जीवन में सकारात्मक बदलावों का अनुभव हो सकता है।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से क्या लाभ होते हैं?
पूर्व जन्मों के पापों का नाश
मन को शांति मिलना और नकारात्मक विचारों का नाश
सच्ची श्रद्धा से की गई आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति
शरीर शुद्धिकरण और स्वास्थ्य लाभ
अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होना और ग्रहों का शांत होना
मासिक शिवरात्रि की पूजा कैसे करें?
स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पूजा स्थान को साफ करें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें। (वैकल्पिक) आसन बिछाकर उस पर मंडप बनाएं।
शिवलिंग स्थापित करें। आप शिवलिंग या भगवान शिव की तस्वीर का उपयोग कर सकते हैं।
शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही आदि से स्नान कराएं।
बेलपत्र चढ़ाएं और अपनी इच्छानुसार अन्य पूजा सामग्री अर्पित करें।
दीप जलाएं, धूप जलाएं और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
भगवान शिव की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।
क्या मासिक शिवरात्रि पर व्रत रखना आवश्यक है?
नहीं, मासिक शिवरात्रि पर व्रत रखना आवश्यक नहीं है। आप अपनी सुविधा के अनुसार पूजा-अर्चना कर सकते हैं। हालाँकि, ऐसा माना जाता है कि व्रत रखने और सच्ची श्रद्धा से पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मासिक शिवरात्रि का ज्योतिर्लिंगों से क्या संबंध है?
भारत में 12 ज्योतिर्लिंग माने जाते हैं। इन ज्योतिर्लिंगों में साल में एक बार महाशिवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। मासिक शिवरात्रि भले ही उतने बड़े पैमाने पर न मनाई जाए, लेकिन यह भी आध्यात्मिक जागरण और भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण अवसर है।