पुत्रदा एकादशी

August Ekadashi 2024 : श्रावण पुत्रदा एकादशी 2024 में कब है, तिथि, पूजा के लाभ और पौराणिक कथा

श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन इस पवित्र महीने में एकादशी का विशेष महत्व है। श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत उन दंपतियों के लिए वरदान माना जाता है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं। पुत्र प्राप्ति के अलावा, इस व्रत के कई धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ भी हैं। आइए, इस लेख में श्रावण पुत्रदा एकादशी 2024 की तिथि, पूजा विधि, महत्व, पौराणिक कथा और कुछ अतिरिक्त जानकारियों के बारे में विस्तार से जानें।

August Ekadashi 2024

2024 में श्रावण पुत्रदा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष 2024 में श्रावण पुत्रदा एकादशी का पर्व 16अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा. आइए देखें, इस दिन के शुभ मुहूर्तों को –

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त 2024, सुबह 10:28 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2024, सुबह 09:40 बजे
  • पारण का समय: 17 अगस्त 2024, सुबह 06:10 से सुबह 08:02 बजे तक

श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि

पुत्रदा एकादशी के व्रत को विधि-विधान से करने से ही आपको अधिकतम लाभ प्राप्त होगा। आइए जानें, इस व्रत की पूजा विधि के बारे में –

  • दशमी तिथि की तैयारी: दशमी तिथि को स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर की साफ-सफाई करें और पूजा स्थल को भी साफ रखें। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप, गंगाजल, पंचामृत आदि की व्यवस्था कर लें।
  • एकादशी तिथि की पूजा: एकादशी तिथि की सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • व्रत संकल्प: अब व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय संकल्प का कारण, संकल्प का समय और संकल्प का फल बताएं। उदाहरण के लिए, “मैं संकल्प करता/करती हूं कि आज श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी के पावन दिन पुत्र प्राप्ति की कामना से पुत्रदा एकादशी का व्रत रखते/रखती हूं। इस व्रत को विधि-विधान से पूर्ण करूंगा/करूंगी।”
  • पूजा का शुभारंभ: संकल्प के बाद पूजा स्थल पर आसन बिछाकर बैठ जाएं। भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और पुत्रदा देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मूर्तियों को गंगाजल से स्नान कराएं और वस्त्र एवं आभूषण अर्पित करें।
  • षोडशोपचार पूजा: इसके बाद भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और पुत्रदा देवी को फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप आदि सोलह सामग्रियों से विधिवत पूजा अर्चन करें।
  • मंत्र जाप और भजन: पूजा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। भगवान विष्णु के भजनों का गायन भी शुभ माना जाता है।
  • रात्रि जागरण: रात में भगवान विष्णु की जागरण करें। आप भगवान विष्णु की कथाएं सुन सकते हैं या भजन-कीर्तन कर सकते हैं।

श्रावण पुत्रदा एकादशी के महत्व

पुत्रदा एकादशी का व्रत न केवल संतान प्राप्ति के लिए बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। आइए देखें, इस व्रत के कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ –

  • संतान सुख: यह व्रत निःसंतान दंपत्तियों के लिए वरदान माना जाता है। विधि-विधान से इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति की कामना अवश्य पूर्ण होती है।
  • संतान की सुख-समृद्धि: यदि आपके संतान हैं, तो भी आप इस व्रत को कर सकते हैं। इस व्रत के प्रभाव से आपके संतान सुखी, स्वस्थ और सफल होते हैं।
  • पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति: पुत्रदा एकादशी के व्रत से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • मनोकामना पूर्ति: इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्तिभाव से करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • पारिवारिक सुख-शांति: पुत्रदा एकादशी के व्रत से घर में सुख-शांति का वास होता है। पति-पत्नी के बीच प्रेम और सौहार्द का भाव बढ़ता है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी की पौराणिक कथा

पुत्रदा एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा राजा मांधाता से जुड़ी है। राजा मांधाता को संतान प्राप्ति की इच्छा थी, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं हो रहा था। इस चिंता से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने महर्षि नारद से सलाह ली। महर्षि नारद ने उन्हें श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत रखने का उपदेश दिया। राजा मांधाता ने विधि-विधान से श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इसके बाद राजा मांधाता को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

श्रावण पुत्रदा एकादशी के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –

  • शारीरिक क्षमता: व्रत रखने से पहले अपनी शारीरिक क्षमता का आकलन करें। यदि आप अस्वस्थ हैं या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • दान-पुण्य: पुत्रदा एकादशी के दिन दान-पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है। आप गरीबों को भोजन दान कर सकते हैं या किसी धार्मिक संस्था को दान दे सकते हैं।
  • ब्रह्मचर्य का पालन: एकादशी के व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना भी जरूरी होता है।
  • अन्न का सेवन: एकादशी के दिन अन्न का सेवन नहीं किया जाता है। आप फलाहार कर सकते हैं।
  • निषिद्ध भोजन: इस दिन लहसुन, प्याज, मसूर, चना, मांस, मदिरा आदि का सेवन वर्जित माना जाता है।

उपसंहार

श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक उत्तम उपाय है। यदि आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या अपने जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति चाहते हैं तो आपको श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। इस लेख में दी गई जानकारी के अनुसार विधि-विधान से पूजा करें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।

यह भी पढ़ें

Nag Panchami 2024 :नाग पंचमी अगस्त 2024 में किस तारीख को पड़ेगी, तिथि, पूजा के लाभ और पौराणिक कथा

Hariyali Teej 2024 : हरियाली तीज कब है? जानिए तिथि और पौराणिक कथा

August Amavasya 2024 :श्रावण अमावस्या व्रत 2024 की पवित्र तिथि, पूजा विधि, अपार महत्व और लाभ

Masik Shivratri August 2024 :मासिक शिवरात्रि व्रत 2024 अगस्त में कब है, तिथि, पूजा के लाभ, महत्व

पूछे जाने वाले प्रश्न

श्रावण पुत्रदा एकादशी कब है?

वर्ष 2024 में श्रावण पुत्रदा एकादशी का पर्व 16अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। आप शुभ मुहूर्तों की जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख में दी गई तिथियों और समय का अवलोकन कर सकते हैं।

श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है?

श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत मुख्य रूप से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों द्वारा रखा जाता है। माना जाता है कि विधि-विधान से इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति की कामना अवश्य पूर्ण होती है। लेकिन, इस व्रत का महत्व केवल संतान प्राप्ति तक ही सीमित नहीं है। यह व्रत पुत्र की सुख-समृद्धि, पापों का नाश, मोक्ष की प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति और पारिवारिक सुख-शांति के लिए भी किया जाता है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा कैसे करें?

श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि लेख में विस्तार से बताई गई है। संक्षेप में, दशमी तिथि को स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और पूजा की सामग्री तैयार कर लें। एकादशी तिथि की सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और पुत्रदा देवी की स्थापना करें और उनका विधिवत पूजन करें। फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें या भजन गाएं। रात में जागरण करें और अगले दिन पारण करके व्रत का समापन करें।

श्रावण पुत्रदा एकादशी के व्रत के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

श्रावण पुत्रदा एकादशी के व्रत के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें। अस्वस्थ होने पर डॉक्टर से सलाह लें। व्रत के दौरान दान-पुण्य करना और ब्रह्मचर्य का पालन करना शुभ माना जाता है। एकादशी के दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है, आप फलाहार कर सकते हैं। साथ ही लहसुन, प्याज, मसूर, चना, मांस और मदिरा जैसे निषिद्ध भोजनों का सेवन न करें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *