हिंदू धर्म में अजा एकादशी का विशेष महत्व है। हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि पड़ती है। इनमें से भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2024 में अजा एकादशी गुरुवार, 29 अगस्त को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान विष्णु की आराधना का पवित्र अवसर होता है। इस लेख में हम एकादशी की तिथि, महत्व, पूजा विधि, व्रत नियमों और लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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एकादशी की तिथि और मुहूर्त
अजा एकादशी का पर्व कब मनाया जाएगा, यह जानने के लिए सबसे पहले तिथि और मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है। आइए, वर्ष 2024 के लिए अजा एकादशी से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियों और मुहूर्तों को देखें:
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 28 अगस्त 2024, बुधवार, सुबह 8:31 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 29 अगस्त 2024, गुरुवार, सुबह 10:07 बजे
- पारण का समय: 30 अगस्त 2024, शुक्रवार, सुबह 6:28 बजे से 8:52 बजे तक
एकादशी का महत्व
अजा एकादशी का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के “ऋषिकेश” स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं। आइए, अजा एकादशी के महत्व को विस्तार से समझें:
- मोक्ष की प्राप्ति: अजा एकादशी व्रत को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की सच्ची आराधना करने से व्यक्ति को जीवन-मुक्ति का वरदान मिलता है और आवागमन के चक्र से मुक्ति मिलती है।
- पापों का नाश: अजा एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु का ध्यान करने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के संचित पापों का नाश होता है। इससे मन शुद्ध होता है और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- मन की शांति और आत्मबल में वृद्धि: अजा एकादशी व्रत के दौरान व्यक्ति सात्विक आहार ग्रहण करता है और ईश्वर भक्ति में लीन रहता है। इससे मन को शांति मिलती है और आत्मबल में वृद्धि होती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: अजा एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने और व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इससे व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पूजा विधि
अजा एकादशी के पावन अवसर पर भगवान विष्णु की आराधना के लिए विधि-विधान का पालन करना आवश्यक होता है। आइए, अब अजा एकादशी की पूजा विधि को क्रम से जानते हैं:
- एकादशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और चौकी पर आसन बिछाएं।
- एक कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते, सुपारी और बताशा रखें। कलश पर मौली बांधकर आम का पल्लव लगाएं।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- भगवान विष्णु को तुलसी दल, फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
- अजा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। कथा सुनते समय भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- पूजा के उपरांत आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
- रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान करें और जागरण कर सकते हैं।
- द्वादशी तिथि और पारण (Dwadashi Tithi and Parana):
- द्वादशी तिथि के दिन सुबह स्नान करके ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
- पारण का समय निर्धारित किया गया है, उस समय पारण करना शुभ माना जाता है।
- पारण से पहले भगवान विष्णु की पूजा करें।
- पारण के लिए सबसे पहले फल ग्रहण करें, उसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
व्रत के नियम
अजा एकादशी का व्रत रखने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए, इन नियमों को विस्तार से जानें:
- एकादशी तिथि के दिन व्रत रखें और केवल जल का सेवन करें।
- इस दिन अनाज, दाल, नमक, मसूर, उड़द, मांस, मदिरा, तांबा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- दिन भर भगवान विष्णु का नाम जपते रहें।
- झूठ न बोलें, क्रोध न करें और दूसरों को परेशान न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पूरे दिन सकारात्मक विचार रखें और दयालुता का भाव बनाए रखें।
व्रत के लाभ
एकादशी का व्रत रखने के अनेक लाभ हैं। आइए, इन लाभों को विस्तार से जानते हैं:
- पापों से मुक्ति: अजा एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के संचित पापों का नाश होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग: अजा एकादशी व्रत मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
- मन की शांति और आत्मबल में वृद्धि: अजा एकादशी व्रत के दौरान व्यक्ति सात्विक आहार ग्रहण करता है और ईश्वर भक्ति में लीन रहता है। इससे मन को शांति मिलती है और आत्मबल में वृद्धि होती है।
- परिवार में सुख-समृद्धि: अजा एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- विवाह में बाधा दूर: अविवाहित जातकों के लिए अजा एकादशी का व्रत रखना लाभदायक होता है। इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।
अजा एकादशी की कथा
अजा एकादशी से जुड़ी एक कथा प्रचलित है, जिसे सुनना या पढ़ना शुभ माना जाता है। आइए, इस कथा को जानते हैं:
द्वापर युग में महाराजा युधिष्ठिर धर्मराज थे। एक दिन उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, “हे कृष्ण! क्या कोई ऐसा व्रत है, जिसके पालन से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त हों?”
श्रीकृष्ण मुस्कुरा कर बोले, “हे युधिष्ठिर! भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन विधि-विधान से व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होते हैं।”
युधिष्ठिर ने विधिवत पूछा, “हे कृष्ण! इस व्रत से जुड़ी कोई कथा भी है?”
श्रीकृष्ण ने कहा, ” अवश्य है। प्राचीन काल में इंद्रपुर नामक नगर में एक धर्मराज नामक राजा राज्य करते थे। वे भगवान विष्णु के परम भक्त थे और सभी धर्मों का पालन करते थे। उनके राज्य में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती थी।”
“एक समय राज्य में अकाल पड़ गया। वर्षा न होने से अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई और प्रजा भुखमरी से पीड़ित हो गई। राजा धर्मराज को प्रजा की दुर्दशा देखकर बहुत दुख हुआ।”
“राजा धर्मराज ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाकर उपाय पूछा। तब एक विद्वान ब्राह्मण ने बताया कि एकादशी का व्रत रखने से वर्षा होती है और अकाल दूर होता है।”
“राजा धर्मराज ने पूरे राज्य में अजा एकादशी का व्रत रखने का आदेश दिया। राजा स्वयं भी रानी सहित पूरे विधि-विधान से व्रत रखा। उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना की।”
“अजा एकादशी के बाद शीघ्र ही राज्य में वर्षा हुई। अकाल दूर हो गया और राज्य में पुनः सुख-समृद्धि लौट आई। प्रजा राजा धर्मराज की भक्ति और धर्मनिष्ठा से अत्यंत प्रसन्न हुई।”
श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा, “हे युधिष्ठिर! इस प्रकार अजा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होते हैं।”
एमान्यताएं
अजा एकादशी से जुड़ी कुछ मान्यताएं भी प्रचलित हैं, जिन्हें जानना रोचक है। आइए, इन मान्यताओं को जानते हैं:
- एकादशी के दिन तुलसी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तुलसी की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- एकादशी के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य फल प्राप्त होता है।
- एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
उपसंहार
अजा एकादशी भगवान विष्णु की आराधना का पवित्र पर्व है। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। अजा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति, पापों से मुक्ति, मन की शांति और आत्मबल में वृद्धि जैसे फल मिलते हैं। आप भी शुद्ध मन से अजा एकादशी का व्रत रखें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
अजा एकादशी कब है?
वर्ष 2024 में अजा एकादशी गुरुवार, 29 अगस्त को मनाई जाएगी। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है।
अजा एकादशी का महत्व क्या है?
अजा एकादशी का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के “ऋषिकेश” स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं। साथ ही, एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति, पापों से मुक्ति, मन की शांति और आत्मबल में वृद्धि जैसे फल मिलते हैं।
अजा एकादशी व्रत रखने से क्या लाभ होते हैं?
अजा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इनमें सबसे प्रमुख लाभ है पापों से मुक्ति। इसके अलावा, एकादशी का व्रत मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। व्रत रखने से मन को शांति मिलती है और आत्मबल में वृद्धि होती है। परिवार में सुख-समृद्धि आती है। अविवाहित जातकों के लिए विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं और संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को भी संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है।