शुक्रवार व्रत हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है। यह व्रत माता संतोषी और धन की देवी लक्ष्मी दोनों को समर्पित होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख, समृद्धि, संतोष और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
शुक्रवार व्रत की तैयारी
शुक्रवार व्रत की तैयारी सुबह जल्दी उठकर स्नान करने और स्वच्छ वस्त्र धारण करने से शुरू होती है। इसके बाद पूजा स्थान को साफ करके चौकी लगाई जाती है। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर माता संतोषी और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। इसके बाद पूजा की आवश्यक सामग्री जैसे फल, फूल, मिठाई, चना, गुड़, गाय का दूध, सिंदूर, चंदन, अक्षत, सुपारी आदि इकट्ठी कर ली जाती हैं।
शुक्रवार व्रत पूजन विधि
पूजा की तैयारी पूरी होने के बाद, सबसे पहले दीप प्रज्वलित किया जाता है और धूप-दीप से आरती की जाती है। इसके बाद, माता संतोषी और देवी लक्ष्मी को फल, फूल, मिठाई, चना, गुड़, गाय का दूध, सिंदूर, चंदन, अक्षत, सुपारी आदि अर्पित किए जाते हैं।
इसके बाद षोडशोपचार पूजन किया जाता है, जिसमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, मंत्र, प्रदक्षिणा और अंत में पुष्पांजलि शामिल होते हैं। पूजन के दौरान “ॐ श्रीं संतोष्यै नमः” और “ॐ श्रीं लक्ष्मी नमः” मंत्र का जाप किया जाता है। पूजा के अंतिम चरण में, संतोषी माता और देवी लक्ष्मी की कथा सुनी जाती है, आरती की जाती है और प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
शुक्रवार व्रत के नियम और सावधानियां
शुक्रवार व्रत रखते समय कुछ नियमों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक होता है। व्रत पूरे दिन रखा जाता है और इस दौरान सात्विक भोजन का ही सेवन किया जाता है। भोजन में नमक, मिर्च, मसाले और तेल का प्रयोग नहीं किया जाता है।
दान-पुण्य करना इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। व्रत के दौरान झूठ बोलने और क्रोध करने से बचना चाहिए। सकारात्मक विचार रखना और मधुर वाणी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। यह व्रत आम तौर पर 16 शुक्रवार तक रखा जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, व्रत के दिन घर के सभी सदस्यों को व्रत रखना चाहिए। साथ ही, स्त्रियों को व्रत के दिन शृंगार नहीं करना चाहिए और किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए।
शुक्रवार व्रत के लाभ
शुक्रवार का व्रत रखने के अनेक लाभ हैं। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सुख, समृद्धि और संतोष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, परिवार में सुख-शांति बनी रहती है, धन-धान्य की वृद्धि होती है, विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है।
ध्यान देने योग्य बातें
यदि आप किसी कारण से शुक्रवार का व्रत नहीं रख सकते हैं, तो आप अगले शुक्रवार से व्रत शुरू कर सकते हैं। व्रत के दौरान, यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या हो, तो व्रत तोड़कर डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
शुक्रवार व्रत किस देवताओं को समर्पित है?
शुक्रवार का व्रत माता संतोषी और धन की देवी लक्ष्मी दोनों को समर्पित होता है। इस व्रत को रखने वाले भक्तों को इन दोनों देवियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख, समृद्धि, संतोष और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
शुक्रवार व्रत की तैयारी कैसे करें?
शुक्रवार व्रत की तैयारी सुबह जल्दी उठकर स्नान करने और स्वच्छ वस्त्र धारण करने से शुरू होती है। इसके बाद पूजा स्थान को साफ करके चौकी लगाई जाती है। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर माता संतोषी और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित किया जाता है। इसके बाद पूजा की आवश्यक सामग्री जैसे फल, फूल, मिठाई, चना, गुड़, गाय का दूध, सिंदूर, चंदन, अक्षत, सुपारी आदि इकट्ठी कर ली जाती हैं।
शुक्रवार व्रत के क्या लाभ हैं?
शुक्रवार का व्रत रखने से कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें सुख, समृद्धि, संतोष, मनोकामना पूर्ति, परिवार में सुख-शांति, धन-धान्य की वृद्धि, विवाह में आने वाली बाधाओं का दूर होना और रोगों से मुक्ति शामिल हैं।