पंजाब की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है, क्योंकि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने 3 फरवरी, 2024 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने इस्तीफा पत्र में निजी कारणों का हवाला दिया है। पुरोहित का कार्यकाल विवादों से भरा रहा, खासकर मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साथ उनके तनावपूर्ण संबंधों को लेकर। यह लेख उनके कार्यकाल, विवादों और इस्तीफे के मायने पर प्रकाश डालता है।
विवादों से घिरा रहा कार्यकाल
बनवारीलाल पुरोहित का पंजाब के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल कई विवादों से ग्रस्त रहा। सबसे प्रमुख रहा उनका आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साथ टकराव। सरकार से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर वे लगातार जवाब मांगते थे, जिससे दोनों पक्षों के बीच तनाव बना रहता था। विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर भी टकराव हुआ, जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। अक्टूबर 2023 में, उन्होंने पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय सत्र में पेश किए जाने वाले तीन विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद आप ने उन पर कड़ा रुख अपनाया था।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और अनुभव
बनवारीलाल पुरोहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं। राजनीति में आने से पहले, वे एक जाने-माने शिक्षाविद्, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे तीन बार नागपुर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इससे पहले, 2017 से 2021 तक उन्होंने तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में और 2016 से 2017 तक असम के राज्यपाल के रूप में कार्य किया है। उनका राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव काफी विस्तृत है।
इस्तीफा और आगे की राह
निजी कारणों का हवाला देते हुए बनवारीलाल पुरोहित के इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा स्वीकार किए जाने की उम्मीद है। इसके बाद, केंद्र सरकार पंजाब के लिए नए राज्यपाल की नियुक्ति करेगी। यह घटना पंजाब की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह देखना बाकी है कि नए राज्यपाल के साथ भगवंत मान सरकार के संबंध कैसे होंगे। पुरोहित के विवादास्पद कार्यकाल के बाद, नया राज्यपाल राज्य में स्थिरता और सहयोगपूर्ण शासन लाने में क्या भूमिका निभाएगा, यह आने वाला समय ही बताएगा।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
बनवारीलाल पुरोहित ने कब और क्यों इस्तीफा दिया?
बनवारीलाल पुरोहित ने 3 फरवरी, 2024 को अपने पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि उनका कार्यकाल कई विवादों से ग्रस्त रहा, खासकर मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साथ उनके तनावपूर्ण संबंधों को लेकर।
पुरोहित का कार्यकाल किन विवादों से घिरा रहा?
पुरोहित का कार्यकाल आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साथ सत्ता के बंटवारे को लेकर लगातार टकरावों से घिरा रहा। विधानसभा सत्र बुलाने और कुछ विधेयकों को मंजूरी देने जैसे मुद्दों पर उनके फैसले आप सरकार को मंजूर नहीं थे, जिससे दोनों पक्षों के बीच कई बार टकराव हुआ और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
पुरोहित की राजनीतिक पृष्ठभूमि क्या है?
बनवारीलाल पुरोहित भाजपा के सदस्य हैं। राजनीति में आने से पहले वे एक शिक्षाविद्, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे तीन बार नागपुर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा, वे तमिलनाडु और असम के राज्यपाल के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
पुरोहित के इस्तीफे के बाद क्या होगा?
राष्ट्रपति द्वारा उनके इस्तीफे को स्वीकार किए जाने की उम्मीद है। इसके बाद, केंद्र सरकार पंजाब के लिए नए राज्यपाल की नियुक्ति करेगी। यह पंजाब की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। नए राज्यपाल के साथ भगवंत मान सरकार के रिश्ते कैसे होंगे और राज्य में शांति-व्यवस्था कायम करने में उनकी भूमिका क्या होगी, यह देखना बाकी है।
इस इस्तीफे का पंजाब की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
पुरोहित के विवादास्पद कार्यकाल के बाद, उनके इस्तीफे से पंजाब की राजनीति में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, नए राज्यपाल की नियुक्ति और उनके रवैये से राज्य में राजनीतिक परिदृश्य कैसे बदलेगा, यह अनुमान लगाना अभी मुश्किल है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नया राज्यपाल सरकार और विपक्ष के बीच सहयोगपूर्ण शासन कायम कर पाएंगे।