मालदीव का नाम सुनते ही मन में क्रिस्टल साफ पानी, लग्जरी रिसॉर्ट्स और नीलाम्बर आसमान का ख्याल आता है। सालों तक भारतीय पर्यटकों के लिए स्वर्ग माने जाने वाले इस द्वीप राष्ट्र पर अब एक नया तूफान छाया हुआ है। हाल ही में भारत और मालदीव के बीच राजनीतिक तनाव के चलते भारत के पर्यटकों की संख्या में नाटकीय गिरावट देखी जा रही है, जिससे मालदीव का पर्यटन उद्योग हिल गया है।
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शीर्ष से पांचवें पायदान पर: भारतीय पर्यटकों की गहरी खाई
हाल के आंकड़े बताते हैं कि 2023 में जहां मालदीव आने वाले पर्यटकों में भारत शीर्ष पर था, वहीं 2024 के शुरुआती महीनों में भारत पांचवें स्थान पर खिसक गया है। आंकड़े और भी चौंकाते हैं, 2023 में 2 लाख से अधिक भारतीयों ने मालदीव की यात्रा की थी, जबकि 2024 की शुरुआत में मात्र 14 हजार भारतीय पर्यटक ही वहां पहुंचे। पर्यटन विशेषज्ञ इस गिरावट का मुख्य कारण भारत में चलाए जा रहे “बायकॉट मालदीव” अभियान को मान रहे हैं।
तनाव की लहरें, पर्यटन की कमी
जनवरी 2024 में भारत और मालदीव के बीच राजनीतिक तनाव ने पर्यटन को गंभीर रूप से प्रभावित किया। कुछ मालदीवियन नेताओं की विवादास्पद टिप्पणियों के बाद सोशल मीडिया पर “बायकॉट मालदीव” का ट्रेंड चल पड़ा, जिसने भारतीय पर्यटकों को मालदीव की यात्रा रद्द करने के लिए प्रेरित किया। हालाँकि मालदीव के राष्ट्रपति ने विवाद को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय पर्यटकों की कमी जारी है।
रूस, इटली, चीन भर रहे खालीपन
भारतीय पर्यटकों की संख्या में कमी के बावजूद, मालदीव का पर्यटन उद्योग पूरी तरह से ठप नहीं हुआ है। रूस, इटली और चीन जैसे अन्य देशों के पर्यटक अब पर्यटन बाजार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। 2024 में अब तक के आंकड़ों के मुताबिक, रूस मालदीव जाने वाले पर्यटकों में शीर्ष पर है, उसके बाद इटली और चीन का स्थान है।
अर्थव्यवस्था पर संभावित असर
भारतीय पर्यटक मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी कमी का प्रत्यक्ष प्रभाव होटल उद्योग, रेस्तरां, परिवहन और स्थानीय व्यवसायों पर पड़ सकता है। इससे द्वीप राष्ट्र की समग्र आर्थिक विकास पर भी असर पड़ने की आशंका है।
कूटनीति का रास्ता तलाशे दोनों देश
मालदीव का पर्यटन उद्योग फलता-फूलता रहे, इसके लिए भारत और मालदीव के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखना बेहद जरूरी है। दोनों देशों को कूटनीति का रास्ता अपनाते हुए इस मुद्दे का समाधान खोजना चाहिए, ताकि पर्यटन का सफेद सिलसिला एक बार फिर से रफ्तार पकड़े और मालदीव की सुनहरी रेत भारतीय पर्यटकों के कदमों से फिर से गुलजार हो।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में इतनी गिरावट क्यों आई है?
हाल ही में भारत और मालदीव के बीच राजनीतिक तनाव के कारण भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है। जनवरी 2024 में कुछ मालदीवियन नेताओं की टिप्पणियों के बाद सोशल मीडिया पर “बायकॉट मालदीव” का ट्रेंड चल पड़ा, जिसने भारतीय पर्यटकों को अपनी यात्रा रद्द करने के लिए प्रेरित किया।
मालदीव में अब किन देशों के पर्यटक सबसे ज्यादा आ रहे हैं?
भारतीय पर्यटकों की कमी के बावजूद, रूस, इटली और चीन जैसे अन्य देशों के पर्यटक अब मालदीव के पर्यटन बाजार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। 2024 के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक, रूस शीर्ष पर है, उसके बाद इटली और चीन का स्थान है।
भारतीय पर्यटकों की कमी का मालदीव की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारतीय पर्यटक मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी कमी का सीधा असर होटल उद्योग, रेस्तरां, परिवहन और स्थानीय व्यवसायों पर पड़ सकता है। इससे द्वीप राष्ट्र की समग्र आर्थिक विकास पर भी असर पड़ने की आशंका है।