प्रदोष व्रत

फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत, विशेष तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। फरवरी के महीने में पहला प्रदोष व्रत 7 फरवरी को पड़ चुका है, जबकि दूसरा प्रदोष व्रत आने वाले बुधवार, 21 फरवरी 2024 को पड़ रहा है।

फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत

कब है फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत?

पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी 2024, बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू होगी और 22 फरवरी को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए, प्रदोष व्रत 21 फरवरी को ही रखा जाएगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त और प्रदोष काल

21 फरवरी को प्रदोष काल शाम 6 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और रात 8 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। पूजा का शुभ मुहूर्त भी इसी समय अवधि में रहेगा।

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

प्रदोष व्रत को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर माना जाता है। इसके कुछ मुख्य धार्मिक महत्व इस प्रकार हैं:

  • भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मिक शुद्धि होती है।
  • परिवार में शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है।
  • स्वास्थ्य अच्छा रहता है और रोग दूर होते हैं।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिड़कें।
  • भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें।
  • दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से आरती करें।
  • बेलपत्र, पुष्प, फल, मिठाई आदि भोग लगाएं।
  • शिव चालीसा, शिव पंचाक्षरी मंत्र या अन्य मंत्रों का जाप करें।
  • भगवान शिव से मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
  • अंत में आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

ध्यान देने योग्य बातें

  • व्रत रखने वाले अपने अनुसार निर्जला व्रत या फलाहार कर सकते हैं।
  • व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को शुद्ध रखें।
  • क्रोध, झूठ, चोरी आदि से बचना चाहिए।

फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और आशीर्वाद पाने का एक शुभ अवसर है। इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत और पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?

फरवरी का दूसरा प्रदोष व्रत बुधवार, 21 फरवरी 2024 को पड़ रहा है। पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी को सुबह 11:27 बजे से शुरू होगी और अगले दिन दोपहर 1:21 बजे समाप्त होगी।

प्रदोष काल कब से कब तक रहेगा?

21 फरवरी को प्रदोष काल शाम 6:15 बजे से शुरू होगा और रात 8:47 बजे तक रहेगा। इस दौरान भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व क्या है?

प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व काफी है। मान्यता है कि इस व्रत से भगवान शिव की विशेष कृपा और आशीर्वाद मिलता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, पापों से मुक्ति मिलती है, परिवार में सुख-शांति आती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि क्या है?

सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें और शिव-पार्वती की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें। दीप प्रज्वलित कर, बेलपत्र, पुष्प, फल आदि चढ़ाएं। शिव चालीसा या मंत्रों का जाप करें, मनोकामनाएं कहें और अंत में आरती कर प्रसाद वितरित करें।

व्रत में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

आप निर्जला व्रत या फलाहार कर सकते हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को शुद्ध रखें। क्रोध, झूठ, चोरी आदि से बचें। व्रत का फल तभी मिलता है जब आप पूरे विधि-विधान के साथ श्रद्धापूर्वक इसका पालन करें।

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