दोपहर

दोपहर की पूजा भगवान नहीं करते स्वीकार जाने परंपरागत मान्यताएं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। पूजा का फल प्राप्त करने के लिए पूजा विधि का पालन आवश्यक होता है। शास्त्रों के अनुसार दोपहर के समय पूजा करना उचित नहीं माना जाता है। उनमें से एक है – दोपहर का समय। आइए विस्तार से जानते हैं, दोपहर में पूजा न करने के पीछे क्या कारण हैं।

दोपहर की पूजा भगवान नहीं करते स्वीकार जाने क्यूं

परंपरागत मान्यताएं

1. अभिजीत मुहूर्त की पूजा और देवताओं का विश्राम

हिंदू धर्म में, दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच के समय को “अभिजीत मुहूर्त” माना जाता है। इस समय को विशेष रूप से शुभ माना जाता है और विभिन्न कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। हालांकि, शास्त्रों के अनुसार, यह समय देवताओं के विश्राम का समय भी होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान देवता विश्राम करते हैं और उनकी पूजा करने से उनकी नींद भंग हो सकती है। इसलिए, इस समय की गई पूजा को देवताओं तक पहुंचने में विलंब हो सकता है या पूर्ण फल प्राप्त न हो।

2. पितरों का समय

हिंदू धर्म में पितरों का स्मरण और उनका तर्पण करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, दोपहर का समय पितरों का भी माना जाता है। इस दौरान पितरों का स्मरण, तर्पण और श्राद्ध आदि कर्म करना अधिक फलदायी होता है। ऐसी मान्यता है कि इस समय किए गए ये कर्म पितरों को शीघ्र पहुंचते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए, दोपहर के समय पितृ कार्यों को करने को प्राथमिकता दी जाती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

1. तेज सूर्य की किरणें और एकाग्रता

दोपहर के समय सूर्य की किरणें सबसे तेज होती हैं। इस तेज प्रकाश में आंखों को खुला रखकर पूजा करने में परेशानी हो सकती है। इससे आंखों में जलन और असुविधा हो सकती है, जिससे पूजा के दौरान एकाग्रता भंग हो सकती है। एकाग्रता भंग होने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है।

2. शारीरिक और मानसिक थकान

दोपहर का समय आमतौर पर दिनचर्या का व्यस्त समय होता है। इस दौरान कई तरह के कार्यों को पूरा करने के बाद थकान महसूस होना स्वाभाविक है। थकावट की स्थिति में पूजा करने से मन में उदासी और थकान का भाव आ सकता है। इससे पूजा के दौरान आवश्यक शांति और भक्तिभाव प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। पूजा में मन लगाकर पूर्ण एकाग्रता के साथ भाग लेना ही शुभ माना जाता है।

अंत में, यह ध्यान देना जरूरी है कि उपरोक्त कारण केवल सुझाव मात्र हैं। यदि आप किसी विशेष पूजा विधि या मुहूर्त के विषय में विस्तार से जानना चाहते हैं तो किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श लेना उचित होगा। वे आपके प्रश्नों का उत्तर देने में सक्षम होंगे और आपके लिए उपयुक्त मार्गदर्शन प्रदान कर सकेंगे।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या दोपहर में बिल्कुल भी पूजा नहीं की जा सकती?

शास्त्रों के अनुसार, दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच का समय (अभिजीत मुहूर्त) पूजा के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। इस दौरान देवताओं के विश्राम का समय माना जाता है और उनकी पूजा करने से उनकी नींद भंग हो सकती है। हालांकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि दोपहर में बिल्कुल भी पूजा नहीं की जा सकती। आप दोपहर से पहले या बाद में किसी भी शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं।

अगर किसी कारणवश दोपहर में ही पूजा करनी पड़े तो क्या करें?

यदि आप किसी विशेष कारणवश दोपहर में ही पूजा करने के लिए बाध्य हैं, तो आप निम्न कार्य कर सकते हैं:
आप भगवान का ध्यान या जप कर सकते हैं।
आप भगवान को भोग लगा सकते हैं और आरती कर सकते हैं।
आप धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकते हैं।
हालांकि, यह ध्यान रखें कि इस दौरान विस्तृत पूजा-पाठ करने से बचना चाहिए।

क्या दोपहर का समय किन कार्यों के लिए शुभ माना जाता है?

भले ही दोपहर का समय पूजा के लिए उपयुक्त न माना जाए, लेकिन यह अन्य कुछ कार्यों के लिए शुभ माना जाता है, जैसे –
विवाह समारोह का आयोजन
गृह प्रवेश
नामकरण संस्कार
मुंडन संस्कार
व्यापार संबंधी शुभारंभ
इन कार्यों को करने से पहले किसी ज्योतिषी से शुभ मुहूर्त का पता लगाना उचित होता है।

पूजा करने के लिए सबसे उपयुक्त समय कौन सा है?

पूजा करने के लिए सबसे उपयुक्त समय ब्रह्म मुहूर्त और सूर्योदय का माना जाता है। इस समय वातावरण शांत और शुद्ध होता है, जिससे मन को शांति मिलती है और पूजा में एकाग्रचित होना आसान होता है। इसके अलावा, आप दिन के अन्य शुभ मुहूर्तों में भी पूजा कर सकते हैं। किसी भी विशेष पूजा या मुहूर्त के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए ज्योतिषी से परामर्श लेना उचित होता है।

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