परिवर्तिनी एकादशी, जिसे मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और कठोर उपवास रखा जाता है. परिवर्तिनी एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए, इस लेख में परिवर्तिनी एकादशी 2024 की तिथि, महत्व, पूजा विधि, व्रत नियम और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानें.
परिवर्तिनी एकादशी 2024 की तिथि
साल 2024 में परिवर्तिनी एकादशी 14 सितंबर, मंगलवार को पड़ रही है.
महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है. हर महीने में दो एकादशी तिथियां पड़ती हैं – कृष्ण पक्ष एकादशी और शुक्ल पक्ष एकादशी. इनमें से परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व है. आइए, विस्तार से जानें परिवर्तिनी एकादशी के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व को:
धार्मिक महत्व
- मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करते हैं और उनकी पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- पापों का नाश: इस दिन के व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
- दान-पुण्य का महत्व: इस दिन के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
- वैकुंठ धाम के द्वार खुलते हैं: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के वैकुंठ धाम के द्वार खुल जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है.
वैज्ञानिक महत्व
एकादशी तिथि में चंद्रमा का पृथ्वी पर प्रभाव कम होता है. इस कारण हमारे शरीर और मन में सकारात्मक बदलाव होते हैं.
- शरीर का शुद्धिकरण: परिवर्तिनी एकादशी के व्रत में सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है और शरीर को अनाज आदि से आराम दिया जाता है. इससे शरीर का शुद्धिकरण होता है और पाचन क्रिया तंदुरुस्त रहती है.
- मन की शांति: व्रत रखने और सात्विक जीवनशैली अपनाने से मन को भी शांति मिलती है. इससे व्यक्ति तनावमुक्त रहता है और मानसिक स्पष्टता प्राप्त होती है.
परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि
परिवर्तिनी एकादशी के पूजा विधि को विधिपूर्वक करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है. आइए, जानें इस पवित्र व्रत की पूजा विधि को:
- पूजा की तैयारी: परिवर्तिनी एकादशी के व्रत की तैयारी एकादशी तिथि से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि से ही शुरू कर देनी चाहिए. इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- स्नान और पूजा स्थल की सफाई: परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान को गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करें और चौकी पर लाल रंग का आसन बिछाएं.
- मूर्ति या चित्र स्थापना: चौकी पर भगवान विष्णु की धातु या पत्थर की मूर्ति स्थापित करें. यदि मूर्ति उपलब्ध न हो तो भगवान विष्णु का चित्र भी लगा सकते हैं.
- षोडशोपचार पूजन: भगवान विष्णु को विधिवत स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र, चंदन, सिंदूर, पुष्पमाला आदि अर्पित करें. इसके बाद भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित करें. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और भगवान विष्णु की आरती उतारें.
- रात्रि जागरण: परिवर्तिनी एकादशी के रात्रि में जागरण करना शुभ माना जाता है. इस रात भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और कथा-वाचन का आयोजन कर सकते हैं.
परिवर्तिनी एकादशी के व्रत नियम
परिवर्तिनी एकादशी का व्रत कठिन माना जाता है, लेकिन इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति को अपार पुण्य प्राप्त होता है. आइए, जानें परिवर्तिनी एकादशी के व्रत नियमों को:
- एकादशी तिथि से पूर्व तैयारी: एकादशी तिथि से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- एकादशी तिथि के नियम:
- एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
- इस दिन झूठ बोलने, चोरी करने, क्रोध करने और कामुक विचारों से दूर रहना चाहिए.
- मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है.
- दिन में एक बार ही सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए.
- रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें.
- द्वादशी तिथि के नियम:
- द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें.
- पारण से पहले भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें भोग लगाएं.
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करें.
परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी कथा
परिवर्तिनी एकादशी से जुड़ी एक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार प्राचीन काल में एक महाराज राज्य करते थे. महाराज को संतान प्राप्ति की इच्छा थी, लेकिन उन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा था. महाराज ने कई ज्योतिषियों से सलाह ली, लेकिन उन्हें कोई संतान प्राप्ति का उपाय नहीं मिला. अंततः एक ज्योतिषी ने उन्हें परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी. महाराज ने विधि-विधान से परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया. कुछ समय बाद महारानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. तभी से परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने की परंपरा चली आ रही है.
परिवर्तिनी एकादशी के समय मंदिरों में विशेष आयोजन
परिवर्तिनी एकादशी के पावन अवसर पर देशभर के विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा-अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है. इन मंदिरों में भगवान विष्णु का श्रृंगार किया जाता है और उनका विशेष अभिषेक किया जाता है. भक्तगण बड़ी संख्या में मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
निष्कर्ष
परिवर्तिनी एकादशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और कठोर व्रत रखा जाता है. परिवर्तिनी एकादशी को मोक्ष की प्राप्ति का द्वार खोलने वाला पवित्र व्रत माना जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति, पापों का नाश, सुख-समृद्धि और वैकुंठ धाम के द्वार खुलने का फल मिलता है. परिवर्तिनी एकादशी के दिन मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं और भक्तगण बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
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पूछे जाने वाले प्रश्न
परिवर्तिनी एकादशी का क्या महत्व है?
परिवर्तिनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
मोक्ष की प्राप्ति: परिवर्तिनी एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग खुलता है.
पापों का नाश: परिवर्तिनी एकादशी के व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
वैकुंठ धाम के द्वार खुलते हैं: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वैकुंठ धाम के द्वार खुल जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है.
परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि क्या है?
परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि को विधिपूर्वक करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है. इसकी पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:
पूजा की तैयारी: एकादशी तिथि से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि से ही व्रत की तैयारी शुरू कर दें. इस दिन सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें.
स्नान और पूजा स्थल की सफाई: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और चौकी पर लाल रंग का आसन बिछाएं.
मूर्ति या चित्र स्थापना: भगवान विष्णु की धातु या पत्थर की मूर्ति स्थापित करें. यदि मूर्ति उपलब्ध न हो तो भगवान विष्णु का चित्र भी लगा सकते हैं.
षोडशोपचार पूजन: भगवान विष्णु को विधिवत स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र, चंदन, सिंदूर, पुष्पमाला आदि अर्पित करें. इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य और फल अर्पित करें. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और आरती उतारें.
रात्रि जागरण: परिवर्तिनी एकादशी के रात्रि में जागरण करना शुभ माना जाता है. इस रात भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और कथा-वाचन का आयोजन कर सकते हैं.