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Sankashti Chaturthi May 2024 :संकष्टी चतुर्थी कब है और भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के सरल उपाय

संकष्टी चतुर्थी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान गणेश, बुद्धि और शुभ शुरुआत के देवता को समर्पित है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. मई 2024 में, भक्त 26 मई को हर्षोल्लास के साथ संकष्टी चतुर्थी मनाएंगे।

संकष्टी चतुर्थी 2024

तिथि और मुहूर्त का विवरण

सभी शुभ कार्यों में तिथि और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। आइए मई 2024 की संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी तिथियों और मुहूर्तों को विस्तार से जानें:

  • तिथि: 26 मई 2024
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 26 मई 2024, सुबह 06:06 मिनट पर
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 27 मई 2024, सुबह 04:53 मिनट तक रहेगी

संकष्टी चतुर्थी के लाभ

संकष्टी चतुर्थी का व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इससे भक्तों को कई लाभ भी प्राप्त होते हैं। आइए जानें संकष्टी चतुर्थी के कुछ प्रमुख लाभों के बारे में:

  • भगवान गणेश की कृपा: संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इससे भक्तों के जीवन में सुख-शांति आती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
  • बाधाओं का निवारण: जीवन में अनेक प्रकार की बाधाएं आती रहती हैं। माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
  • मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से किया गया हर व्रत शुभ फलदायी होता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  • बुद्धि और ज्ञान वृद्धि: भगवान गणेश को बुद्धि के देवता के रूप में जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान प्राप्ति में सहायता मिलती है।
  • संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख कर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

भगवान गणेश की कृपा पाने के सरल उपाय

सभी भक्त चाहते हैं कि भगवान गणेश उनकी पूजा से प्रसन्न हों और उन पर कृपा बरसाएं। आइए जानते हैं कुछ सरल उपायों के बारे में जिन्हें अपनाकर आप भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कर सकते हैं:

  • विधि-विधान से पूजा: संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। सबसे पहले स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थान को साफ करके गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद भगवान गणेश को दूर्वा, मोदक, फल और फूल अर्पित करें। धूप, दीप जलाएं और गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
  • निर्जला या फलाहार व्रत : फलाहार व्रत रख सकते हैं। निर्जला व्रत में पूरे दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता है, वहीं फलाहार व्रत में आप फल, दूध और साबूदाना जैसी सात्विक चीजों का सेवन कर सकते हैं।
  • दान का महत्व: संकष्टी चतुर्थी के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य अर्जित कर सकते हैं। दान में अनाज, वस्त्र या धन कुछ भी हो सकता है, लेकिन दान का भाव सच्चा होना चाहिए।
  • मंत्र जाप और भजन: भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए आप “ॐ गं गणपतये नमः” या “गणेश चतुर्थी व्रत कथा” का पाठ कर सकते हैं। इसके अलावा भगवान गणेश के भजनों का श्रवण या स्वयं भजन करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
  • आरती: पूजा के उपरांत भगवान गणेश की आरती अवश्य करें। आप किसी भी गणेश आरती का पाठ कर सकते हैं या “गजाननं भूतगणपतिं सर्वज्ञं गणनाथं” जैसी प्रसिद्ध आरतियों का उच्चारण कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी के दिन ध्यान देने योग्य बातें

संकष्टी चतुर्थी के व्रत को विधि-विधान से करने के साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। आइए जानें संकष्टी चतुर्थी के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • चंद्र दर्शन: संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना वर्जित माना जाता है।
  • घर की सफाई: इस दिन घर की सफाई करते समय झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। आप पोछा लगाकर घर को साफ कर सकते हैं।
  • सात्विक भोजन: संकष्टी चतुर्थी के दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज जैसी चीजों का सेवन वर्जित होता है।

संकष्टी चतुर्थी की कथा

हिंदू धर्म में किसी भी व्रत या त्योहार से जुड़ी एक कथा जरूर होती है। आइए संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी कथा को जानते हैं:

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं। उन्होंने गणेश जी को द्वार पर पहरा देने के लिए कहा कि कोई भी उनके स्नान कक्ष में प्रवेश न करे। कुछ समय बाद भगवान शिव जी वहां आए और अंदर जाने का आग्रह करने लगे। किंतु गणेश जी ने उन्हें रोक दिया क्योंकि माता पार्वती ने उन्हें किसी को भी अंदर ना जाने के लिए कहा था। भगवान शिव और गणेश जी के बीच युद्ध हो गया। युद्ध में क्रोधवश भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती स्नान करके बाहर आईं तो यह दृश्य देखकर व्याकुल हो गईं।

उन्होंने भगवान शिव से गणेश जी को जीवित करने के लिए कहा। भगवान शिव ने तुरंत देवताओं को उत्तर दिशा में जाने और किसी भी जीव का सिर लेकर आने का आदेश दिया। देवताओं को एक हाथी का सिर मिला और उसे लाकर भगवान शिव ने गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया। इस प्रकार गणेश जी पुनर्जीवित हो गए। तब से भगवान गणेश को “एकदंत” कहा जाता है। माता पार्वती ने गणेश जी को वरदान दिया कि जो कोई भी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का व्रत करेगा, उसे संतान सुख और मनचाही सफलता प्राप्त होगी।

संकष्टी चतुर्थी का उपसंहार

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन में सुख-शांति पाने का एक सरल उपाय है। इस दिन विधि-विधान से पू

जा कर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। उम्मीद है कि उपरोक्त जानकारी आपको मई 2024 में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को धूमधाम से मनाने में सहायक होगी.

इस लेख में हमने संकष्टी चतुर्थी की तिथि, मुहूर्त, लाभ, पूजा विधि, व्रत के नियम और इससे जुड़ी कथा को विस्तार से जाना। आप अपनी श्रद्धा अनुसार पूजा-अर्चना कर सकते हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण बातें:

  • आप अपने आस-पास के मंदिरों में आयोजित होने वाली संकष्टी चतुर्थी पूजा में भी शामिल हो सकते हैं। कई मंदिरों में सामूहिक पूजा का आयोजन किया जाता है, जहां भजन-कीर्तन के माध्यम से भक्ति का वातावरण बनता है।
  • संकष्टी चतुर्थी के व्रत को पूरे परिवार के साथ मिलकर मनाने का महत्व है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है।
  • आप संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण का भी संकल्प ले सकते हैं। पूजा में प्रयोग की गई सामग्री को नदी या सरोवर में विसर्जित करने के बजाय उसे गमले या किसी पौधे के नीचे डाल दें। इससे पर्यावरण को होने वाला नुकसान कम होगा।

निष्कर्ष:

संकष्टी चतुर्थी का व्रत आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इस व्रत को विधि-विधान से करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

संकष्टी चतुर्थी का व्रत क्यों रखा जाता है?

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन में सुख-शांति लाने के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से कई लाभ मिलते हैं, जैसे –
सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं से मुक्ति
मनोवांछित फल की प्राप्ति
बुद्धि और ज्ञान का विकास
संतान प्राप्ति का आशीर्वाद

संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:
विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें।
निर्जला या फलाहार व्रत रखें।
गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती करें।
क्या न करें:
चंद्रमा को देखने से बचें।
घर की सफाई करते समय झाड़ू का प्रयोग न करें।
तामसिक भोजन का सेवन न करें, जिसमें मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज जैसी चीजें शामिल हैं।

संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी कोई कथा है?

जी हां, संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी एक प्रचलित कथा है। इस कथा के अनुसार, माता पार्वती स्नान कर रही थीं और उन्होंने गणेश जी को द्वार पर पहरा देने को कहा था। भगवान शिव के आने पर गणेश जी ने उन्हें रोक दिया, जिसके कारण दोनों में युद्ध हुआ। क्रोध में भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में माता पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने एक हाथी का सिर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया, इस प्रकार गणेश जी पुनर्जीवित हुए। इसके पश्चात माता पार्वती ने गणेश जी को वरदान दिया कि जो कोई भी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का व्रत करेगा, उसे संतान सुख और मनचाही सफलता प्राप्त होगी।

संकष्टी चतुर्थी को कैसे मनाया जा सकता है?

आप संकष्टी चतुर्थी को कई तरह से मना सकते हैं:
घर पर विधि-विधान से पूजा करें।
अपने आस-पास के मंदिरों में आयोजित होने वाली सामूहिक पूजा में भाग लें।
पूरे परिवार के साथ मिलकर व्रत रखें और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करें।
पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लें और पूजा सामग्री को नदी या सरोवर में विसर्जित करने के बजाय गमले या पौधे के नीचे डालें।

Ankit Singh

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