संकष्टी चतुर्थी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान गणेश, बुद्धि और शुभ शुरुआत के देवता को समर्पित है। यह हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. मई 2024 में, भक्त 26 मई को हर्षोल्लास के साथ संकष्टी चतुर्थी मनाएंगे।
सभी शुभ कार्यों में तिथि और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। आइए मई 2024 की संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी तिथियों और मुहूर्तों को विस्तार से जानें:
संकष्टी चतुर्थी का व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इससे भक्तों को कई लाभ भी प्राप्त होते हैं। आइए जानें संकष्टी चतुर्थी के कुछ प्रमुख लाभों के बारे में:
सभी भक्त चाहते हैं कि भगवान गणेश उनकी पूजा से प्रसन्न हों और उन पर कृपा बरसाएं। आइए जानते हैं कुछ सरल उपायों के बारे में जिन्हें अपनाकर आप भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कर सकते हैं:
संकष्टी चतुर्थी के व्रत को विधि-विधान से करने के साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। आइए जानें संकष्टी चतुर्थी के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
हिंदू धर्म में किसी भी व्रत या त्योहार से जुड़ी एक कथा जरूर होती है। आइए संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी कथा को जानते हैं:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं। उन्होंने गणेश जी को द्वार पर पहरा देने के लिए कहा कि कोई भी उनके स्नान कक्ष में प्रवेश न करे। कुछ समय बाद भगवान शिव जी वहां आए और अंदर जाने का आग्रह करने लगे। किंतु गणेश जी ने उन्हें रोक दिया क्योंकि माता पार्वती ने उन्हें किसी को भी अंदर ना जाने के लिए कहा था। भगवान शिव और गणेश जी के बीच युद्ध हो गया। युद्ध में क्रोधवश भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माता पार्वती स्नान करके बाहर आईं तो यह दृश्य देखकर व्याकुल हो गईं।
उन्होंने भगवान शिव से गणेश जी को जीवित करने के लिए कहा। भगवान शिव ने तुरंत देवताओं को उत्तर दिशा में जाने और किसी भी जीव का सिर लेकर आने का आदेश दिया। देवताओं को एक हाथी का सिर मिला और उसे लाकर भगवान शिव ने गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया। इस प्रकार गणेश जी पुनर्जीवित हो गए। तब से भगवान गणेश को “एकदंत” कहा जाता है। माता पार्वती ने गणेश जी को वरदान दिया कि जो कोई भी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का व्रत करेगा, उसे संतान सुख और मनचाही सफलता प्राप्त होगी।
संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन में सुख-शांति पाने का एक सरल उपाय है। इस दिन विधि-विधान से पू
जा कर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। उम्मीद है कि उपरोक्त जानकारी आपको मई 2024 में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को धूमधाम से मनाने में सहायक होगी.
इस लेख में हमने संकष्टी चतुर्थी की तिथि, मुहूर्त, लाभ, पूजा विधि, व्रत के नियम और इससे जुड़ी कथा को विस्तार से जाना। आप अपनी श्रद्धा अनुसार पूजा-अर्चना कर सकते हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बातें:
निष्कर्ष:
संकष्टी चतुर्थी का व्रत आस्था और विश्वास का प्रतीक है। इस व्रत को विधि-विधान से करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
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संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन में सुख-शांति लाने के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से कई लाभ मिलते हैं, जैसे –
सभी प्रकार के कष्टों और बाधाओं से मुक्ति
मनोवांछित फल की प्राप्ति
बुद्धि और ज्ञान का विकास
संतान प्राप्ति का आशीर्वाद
क्या करें:
विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें।
निर्जला या फलाहार व्रत रखें।
गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती करें।
क्या न करें:
चंद्रमा को देखने से बचें।
घर की सफाई करते समय झाड़ू का प्रयोग न करें।
तामसिक भोजन का सेवन न करें, जिसमें मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज जैसी चीजें शामिल हैं।
जी हां, संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी एक प्रचलित कथा है। इस कथा के अनुसार, माता पार्वती स्नान कर रही थीं और उन्होंने गणेश जी को द्वार पर पहरा देने को कहा था। भगवान शिव के आने पर गणेश जी ने उन्हें रोक दिया, जिसके कारण दोनों में युद्ध हुआ। क्रोध में भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में माता पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने एक हाथी का सिर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया, इस प्रकार गणेश जी पुनर्जीवित हुए। इसके पश्चात माता पार्वती ने गणेश जी को वरदान दिया कि जो कोई भी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का व्रत करेगा, उसे संतान सुख और मनचाही सफलता प्राप्त होगी।
आप संकष्टी चतुर्थी को कई तरह से मना सकते हैं:
घर पर विधि-विधान से पूजा करें।
अपने आस-पास के मंदिरों में आयोजित होने वाली सामूहिक पूजा में भाग लें।
पूरे परिवार के साथ मिलकर व्रत रखें और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करें।
पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लें और पूजा सामग्री को नदी या सरोवर में विसर्जित करने के बजाय गमले या पौधे के नीचे डालें।
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