फल की प्राप्ति और विघ्नों के नाश के लिए मनाई जाने वाली द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत रखकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए जानें आगामी संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कुछ खास उपाय जो आपके लिए भाग्यशाली साबित हो सकते हैं।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त और व्रत का दिन
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी इस साल 28 फरवरी 2024, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन चतुर्थी तिथि का आरंभ 28 फरवरी को रात्रि 1:53 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 29 फरवरी को प्रातः 4:18 मिनट पर होगा। अतः व्रत रखने वालों को 28 फरवरी को ही पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
पूजा विधि
भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने घर में पूजा स्थान पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, पान, सुपारी, धूप-दीप आदि अर्पित करें। इसके बाद “श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा” मंत्र का जाप करें। अंत में आरती उतारकर प्रसाद का वितरण करें।
विशेष उपाय
अपनी मनोकामनाएं पूरी करने और जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं:
बुध ग्रह की स्थिति सुधारने के लिए:
- भगवान गणेश को 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।
- “ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:” मंत्र का जाप करें।
- किसी किन्नर को हरी चीजें जैसे इलायची, हरे वस्त्र आदि दान करें।
आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए:
- 5 दूर्वा में 11 गांठ लगाकर किसी लाल कपड़े में बांधकर गणेश जी को अर्पित करें।
- भगवान गणेश का ध्यान करें।
व्रत का पालन और कथा सुनना
व्रत रखने वालों को सुबह से लेकर चंद्रोदय तक उपवास करना चाहिए। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करें। चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की कथा सुनना भी बहुत शुभ होता है।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के ये सरल उपाय और पूजा विधि आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाने में सहायक हो सकते हैं। श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करें और अपने सभी कष्टों को दूर करें।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कब मनाई जाती है?
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 28 फरवरी 2024, बुधवार को पड़ रही है।
इस व्रत को करने से क्या लाभ होता है?
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। इससे जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, बुद्धि और विद्या का विकास होता है, आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पूजा के दौरान गणेश जी को क्या चढ़ाना चाहिए?
पूजा के दौरान गणेश जी को लाल चंदन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, पान, सुपारी, धूप-दीप आदि चढ़ाएं। साथ ही “श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा” मंत्र का जाप करें।
क्या संकष्टी चतुर्थी पर कोई खास उपाय भी किए जा सकते हैं?
जी हां, अपनी मनोकामनाओं के आधार पर आप कुछ खास उपाय भी कर सकते हैं। जैसे, बुध ग्रह की स्थिति सुधारने के लिए 21 लड्डूओं का भोग लगाएं और हरी चीजें दान करें। आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए 5 दूर्वा में 11 गांठ लगाकर लाल कपड़े में बांधकर गणेश जी को अर्पित करें।