October Amavasya 2024 :आश्विन अमावस्या 2024 कब है, तिथि और सुख-समृद्धि प्राप्त करने के उपाय
आश्विन अमावस्या, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. यह हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष की दूसरी अमावस्या तिथि होती है, जो अक्टूबर के महीने में पड़ती है। इस दिन का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानें कि आश्विन अमावस्या 2024 किस दिन है, इसका महत्व क्या है, पूजा विधि कैसी है और इस दिन किन उपायों को करने से समृद्धि प्राप्त होती है।
आश्विन अमावस्या 2024 की तिथि और समय
आश्विन अमावस्या वर्ष 2024 में 2 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रही है। यह तिथि रात 9 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 3 अक्टूबर, गुरुवार को देर रात 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगी।
आश्विन अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में आश्विन अमावस्या का बहुत महत्व है। आइए, इसके कुछ प्रमुख महत्वों को जानते हैं:
पितृ पक्ष का समापन: आश्विन अमावस्या का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह पितृ पक्ष की अंतिम तिथि होती है। पितृ पक्ष श्राद्ध करने के लिए निर्धारित सोलह दिनों की अवधि होती है, जो भाद्रपद शुक्ला पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या को समाप्त होती है। इस दिन पितरों का श्राद्ध करना और उनके नाम दान करना पुण्य का कार्य माना जाता है। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मोक्ष की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि आश्विन अमावस्या के दिन किए गए स्नान और दान से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इससे व्यक्ति के पापों का नाश होता है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
ग्रह दोषों से मुक्ति: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आश्विन अमावस्या के दिन कुछ खास उपाय करने से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है। अगर आपकी कुंडली में कोई ग्रह दोष है, तो आप इस दिन ज्योतिषीय सलाह लेकर विशेष पूजा या अनुष्ठान कर सकते हैं।
नए कार्यों की शुरुआत: आश्विन अमावस्या को नया कार्य या व्यापार शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन की गई शुरुआत सफल और लाभदायक मानी जाती है।
आश्विन अमावस्या की पूजा विधि
आश्विन अमावस्या पर पूजा करने की विधि इस प्रकार है:
स्नान: इस पवित्र दिन की शुरुआत सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने से करें। स्नान के जल में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करना और भी शुभ माना जाता है।
तर्पण: स्नान करने के बाद सूर्य देव और पितरों को तर्पण अवश्य दें। तर्पण विधि किसी भी विद्वान पंडित से सीखी जा सकती है।
श्राद्ध: आश्विन अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन अपने दिवंगत पूर्वजों का श्राद्ध विधि-विधान से करें और उन्हें भोजन अर्पित करें।
दान: आश्विन अमावस्या पर दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। आप गरीबों को भोजन दान कर सकते हैं, वस्त्र दान कर सकते हैं या किसी धार्मिक संस्था को दान कर सकते हैं। दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति आती है।
दीपदान: शाम के समय किसी नदी या तालाब के किनारे पर दीपदान करें। आप दीप में तिल का तेल या घी डाल सकते हैं और साथ में थोड़ा सा गुड़ भी रख सकते हैं। दीपदान करते समय यम देवता का ध्यान करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
पूजा: आश्विन अमावस्या के दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करना शुभ होता है। आप इन देवताओं को धूप, दीप, पुष्प और भोग अर्पित कर सकते हैं। साथ ही अपने पूजनीय कुल देवता की भी पूजा अवश्य करें।
व्रत: यदि आपकी शारीरिक क्षमता अनुमति देती है, तो आप आश्विन अमावस्या के दिन व्रत भी रख सकते हैं। व्रत रखने से मन को शांति मिलती है और आत्मिक शुद्धि होती है।
समृद्धि के लिए उपाय
आश्विन अमावस्या के दिन किए गए कुछ खास उपायों से आपको सुख-समृद्धि प्राप्त हो सकती है। आइए, जानें इन उपायों के बारे में:
लक्ष्मी मंत्र का जाप: माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन “ॐ श्रीं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप करने से पहले आसन बिछाकर बैठ जाएं और ध्यान लगाएं। ऐसा करने से आपके जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होगी।
गोमाता की पूजा: हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। गाय की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आप आश्विन अमावस्या के दिन गोमाता की पूजा कर सकती हैं और उन्हें हरा चारा या गुड़ खिला सकती हैं।
पीपल वृक्ष की पूजा: पीपल का वृक्ष भगवान शिव को बहुत प्रिय है। आश्विन अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है। आप पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं, उसके चारों ओर दीप जलाएं और पेड़ की जड़ में थोड़ा सा दूध डालें। ऐसा करने से शनि ग्रह के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
दक्षिणा: दान करते समय दक्षिणा अवश्य दें। दक्षिणा का अर्थ होता है सम्मानपूर्वक दिया जाने वाला धन। दक्षिणा देने से दान का फल और भी अधिक बढ़ जाता है।
आश्विन अमावस्या से जुड़ी मान्यताएं
आश्विन अमावस्या से जुड़ी कुछ खास मान्यताएं भी हैं, जिनके बारे में जानना रोचक होगा:
समुद्र मंथन: हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन इसी दिन हुआ था। समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि, अमृत, कल्पवृक्ष और कामधेनु आदि रत्न निकले थे।
सूर्य ग्रहण का प्रभाव: ज्योतिष के अनुसार, यदि आश्विन अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण होता है, तो इसका प्रभाव पूरे वर्ष भर रहता है।
पितृदोष: अगर आपका पितृदोष है, तो आश्विन अमावस्या के दिन श्राद्ध करने और दान करने से आपको इससे मुक्ति मिल सकती है।
निष्कर्ष
आश्विन अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन पितरों का श्राद्ध करना, दान-पुण्य करना और पूजा-अर्चना करना हमारे कर्तव्य हैं। ऐसा करने से हमें पुण्य की प्राप्ति होती है और हमारे पूर्वजों को भी शांति मिलती है। वहीं, ज्योतिषीय उपायों को करने से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
वर्ष 2024 में आश्विन अमावस्या 2 अक्टूबर, बुधवार को पड़ रही है। यह तिथि रात 9 बजकर 39 मिनट से शुरू होकर 3 अक्टूबर, गुरुवार को देर रात 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगी।
आश्विन अमावस्या का क्या महत्व है?
आश्विन अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह खासकर इन कारणों से महत्वपूर्ण है: पितृ पक्ष का समापन: यह पितृ पक्ष की अंतिम तिथि होती है, जिसमें पितरों का श्राद्ध करना और उनके नाम दान करना शुभ माना जाता है। मोक्ष की प्राप्ति: इस दिन किए गए स्नान और दान से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। ग्रह दोषों से मुक्ति: ज्योतिषीय उपाय करने से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है। नए कार्यों की शुरुआत: इस दिन शुभ माना जाता है और नई शुरुआत सफल मानी जाती है।
आश्विन अमावस्या पर पूजा कैसे करें?
आश्विन अमावस्या पर पूजा करने की विधि इस प्रकार है: स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें, आप चाहें तो गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। तर्पण: सूर्य देव और पितरों को तर्पण दें। श्राद्ध: विधि-विधान से पितरों का श्राद्ध करें और उन्हें भोजन अर्पित करें। दान: गरीबों को भोजन या वस्त्र दान करें या किसी धार्मिक संस्था को दान दें। दीपदान: शाम के समय नदी या तालाब के किनारे दीपदान करें। पूजा: भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करें। आप अपने कुल देवता की भी पूजा कर सकते हैं। व्रत: आप अपनी क्षमता अनुसार व्रत भी रख सकते हैं।