मासिक शिवरात्रि

Masik Shivratri September 2024 : मासिक शिवरात्रि 2024 सितंबर में किस दिन पड़ेगी, तिथि, लाभ, और किस मंत्र का जाप करना शुभ

शिव शांति और विनाश के देवता हैं। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आइए, इस लेख में हम सितंबर 2024 में पड़ने वाली दूसरी मासिक शिवरात्रि के बारे में विस्तार से जानें।

Masik Shivratri September 2024

सितंबर 2024 में मासिक शिवरात्रि कब है?

सितंबर 2024 में दूसरी मासिक शिवरात्रि शनिवार, 30 सितंबर को पड़ेगी। इस दिन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि होगी। मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने के लिए यह शुभ तिथि मानी जाती है।

महत्व

मासिक शिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को उनके असीम आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।

  • मनोकामना पूर्ति: मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने और सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  • पापों का नाश: माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • सुख, शांति और समृद्धि: इस पवित्र तिथि पर भगवान शिव की आराधना करने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सौहार्द का आगमन होता है।
  • आरोग्य लाभ: मासिक शिवरात्रि के व्रत से शरीर शुद्ध होता है और निरोग रहने का वरदान प्राप्त होता है।

इन सभी लाभों के कारण मासिक शिवरात्रि का व्रत रखना और भगवान शिव की आराधना करना बहुत ही फलदायक माना जाता है।

पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। आइए, जानें मासिक शिवरात्रि की सरल पूजा विधि:

  1. स्नान और संकल्प: मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात् पूजा स्थान पर आसन बिछाकर भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
  2. शिवालय स्थापना: पूजा स्थान पर गंगाजल से शुद्धिकरण करें और फिर मिट्टी या किसी अन्य शुद्ध स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें।
  3. शिवलिंग का अभिषेक: शिवलिंग पर शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र, धतूरा आदि से अभिषेक करें। अभिषेक के बाद शिवलिंग को वस्त्र से पोंछकर सुगंधित पुष्प अर्पित करें।
  4. भोग अर्पण: भगवान शिव को भोग के रूप में फल, मिठाई और उनकी प्रिय चीजें जैसे धतूरे के फूल और बेलपत्र आदि चढ़ाएं।
  5. मंत्र जप: शिवलिंग के समक्ष बैठकर रुद्राभिषेक करें या फिर शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र, शिव पंचाक्षर मंत्र और शिव गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।

व्रत के नियम

मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। व्रत रखने के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए, जानें मासिक शिवरात्रि व्रत के कुछ महत्वपूर्ण नियमों को:

  • व्रत का संकल्प: मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके पश्चात् पूजा स्थान पर बैठकर व्रत का संकल्प लें।
  • सात्विक भोजन: व्रत के दौरान सात्विक भोजन का ही सेवन करें। मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन वर्जित माना जाता है।
  • ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। क्रोध, लोभ, मोह आदि से दूर रहकर मन को पवित्र रखें।
  • पूजा-अर्चना: पूरे दिन भगवान शिव का ध्यान करें और उनकी पूजा-अर्चना करें। शिवलिंग का अभिषेक करें और मंत्रों का जाप करें।
  • रात्रि जागरण: रात्रि के समय जागरण करके भगवान शिव की आराधना करें। आप भजन-कीर्तन कर सकते हैं या फिर शिवपुराण का पाठ कर सकते हैं।
  • पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद शिवलिंग की पूजा करके और ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें। इसके पश्चात् आप सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

मासिक शिवरात्रि के व्रत के दौरान इन नियमों का पालन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

कथा

माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने विष का प्रभाव कम करने के लिए अपने गले से विष निकालकर वासुकी नाम के सर्प को अपने गले में पहन लिया था। इस घटना के उपलक्ष्य में ही हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

कुछ कथाओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपना अर्धांगिनी स्वीकार किया था।

ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र में भी मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन चंद्रमा कमजोर अवस्था में होता है और ग्रहों की दशा कुछ इस प्रकार से बनती है कि भगवान शिव की आराधना करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन शिव उपासना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, ग्रहों के दोषों से मुक्ति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

उपसंहार

मासिक शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस पावन तिथि पर व्रत रखकर और भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नियमित रूप से मासि क शिवरात्रि का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

सितंबर 2024 में मासिक शिवरात्रि कब है?

सितंबर 2024 में दूसरी मासिक शिवरात्रि शनिवार, 30 सितंबर को पड़ेगी। इस दिन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि होगी। मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने के लिए यह बहुत ही शुभ तिथि मानी जाती है।

मासिक शिवरात्रि की पूजा कैसे करें?

मासिक शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इसकी सरल पूजा विधि इस प्रकार है:
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान पर आसन बिछाकर भगवान शिव का ध्यान करें। व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और शिवलिंग स्थापित करें।
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, बेलपत्र आदि चढ़ाएं। इसके बाद शिवलिंग को वस्त्र से पोंछकर सुगंधित पुष्प अर्पित करें।
भगवान शिव को भोग के रूप में फल, मिठाई और उनकी प्रिय चीजें चढ़ाएं।
शिवलिंग के समक्ष बैठकर रुद्राभिषेक करें या फिर शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र, शिव पंचाक्षर मंत्र आदि का जाप करें।

मासिक शिवरात्रि पर कौन से मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है?

मासिक शिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव की आराधना के लिए कई शुभ मंत्र विद्यमान हैं। कुछ महत्वपूर्ण मंत्र इस प्रकार हैं:
ॐ नमः शिवाय: यह सबसे सरल और सर्वशक्तिमान मंत्र है। इसका जप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
महामृत्युंजय मंत्र: यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इसका जप करने से रोगों का नाश होता है और दीर्घायु का वरदान मिलता है।
शिव पंचाक्षर मंत्र: यह मंत्र भगवान शिव के पांच स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका जप करने से मन को शांति मिलती है।
शिव गायत्री मंत्र: यह गायत्री मंत्र भगवान शिव को समर्पित है। इसका जप करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है।

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