हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष स्थान है। व्रत, त्योहार और रोजमर्रा के जीवन में भगवान की पूजा की जाती है। पूजा के अंत में आरती करना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चाहे किसी भी देवी-देवता की पूजा हो, आरती के बिना वो अधूरी मानी जाती है। शास्त्रों में आरती का विशेष महत्व बताया गया है।
जिस तरह हर देवी-देवता की पूजा विधि अलग होती है, उसी तरह उनकी आरती भी अलग होती है। मां लक्ष्मी धन-समृद्धि की देवी हैं। उनकी कृपा से मनुष्य को धन-वैभव की प्राप्ति होती है। इसलिए हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा के बाद उनकी आरती अवश्य करनी चाहिए।
जय लक्ष्मी माता, जय जय लक्ष्मी माता। तुमको निसदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।। ॐ जय लक्ष्मी माता ।
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता। सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। ॐ जय लक्ष्मी माता ।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ॐ जय लक्ष्मी माता ।
तुम पतल निवासिनि, तुम ही शुभदाता। कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता।। ॐ जय लक्ष्मी माता ।
जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता। सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।। ॐ जय लक्ष्मी माता ।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता।। ॐ जय लक्ष्मी माता ।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोंदधि जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।। ॐ जय लक्ष्मी माता ।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता। उर आनंद समता, पाप उतर जाता।। ॐ जय लक्ष्मी माता ।
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हां, हर देवी-देवता की आरती अलग होती है। प्रत्येक देवता के स्वरूप और गुणों के अनुरूप उनकी आरती के लिए अलग-अलग मंत्र और स्तुतियां निर्धारित की गई हैं। उदाहरण के लिए, मां लक्ष्मी की आरती में धन-समृद्धि से जुड़े मंत्र शामिल होते हैं, जबकि शिव जी की आरती में शक्ति और शांति से जुड़े मंत्र होते हैं।
शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। इसलिए, इस दिन उनकी पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और धन-समृद्धि में वृद्धि होती है। हालाँकि, आप अपनी श्रद्धा के अनुसार किसी भी दिन मां लक्ष्मी की आरती कर सकते हैं।
आरती करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे:
स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थान पर बैठें।
दीपक में शुद्ध घी या तेल का प्रयोग करें।
दीपक की ज्योति को सावधानी से घुमाएं।
आरती के मंत्रों का स्पष्ट और धीमे स्वर में उच्चारण करें।
आरती के बाद भगवान को प्रणाम करना न भूलें।
आरती का वैज्ञानिक आधार भी माना जाता है। आरती के दौरान जप किए जाने वाले मंत्रों के उच्चारण से विशेष ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो वातावरण को शुद्ध करने में सहायक होती हैं। साथ ही, ध्यान केंद्रित होकर आरती करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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