हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। इनमें से कुछ एकादशियों का विशेष महत्व माना जाता है, जिनमें अपरा एकादशी भी शामिल है। भगवान विष्णु को समर्पित, अपरा एकादशी वर्ष में दो बार आती है – एक बार फाल्गुन मास में और दूसरी बार मार्गशीर्ष मास में। इस लेख में, हम अपरा एकादशी के तिथि, महत्व, पालन करने योग्य नियमों और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
आने वाली अपरा एकादशी 2 जून 2024 को पड़ेगी। आइए, इस दिन के शुभ मुहूर्तों को देखें:
अपरा एकादशी का व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस व्रत को रखने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण लाभ इस प्रकार हैं:
व्रत को विधिपूर्वक करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:
व्रत को विधिपूर्वक करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए :
व्रत के दौरान कुछ बातों का त्याग करना आवश्यक होता है:
अपरा एकादशी के महत्व को दर्शाने के लिए कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। आइए, उनमें से दो लोकप्रिय कथाओं को जानें:
कथा 1: राजा यमुना और अपरा एकादशी
पद्म पुराण के अनुसार, एक बार राजा यमुना को पुत्र प्राप्ति की इच्छा थी। लेकिन उन्हें संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा था। राजा यमुना ने कई ज्योतिषियों और पंडितों से सलाह ली, लेकिन कोई भी उन्हें संतान प्राप्ति का उपाय नहीं बता सका। अंततः, उन्हें भगवान विष्णु के एक परम भक्त से मुलाकात हुई। उस भक्त ने राजा यमुना को बताया कि यदि वे अपरा एकादशी का व्रत रखते हैं, तो उन्हें निश्चित रूप से पुत्र प्राप्ति होगी।
राजा यमुना ने विधि-विधान से अपरा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। इस प्रकार, अपरा एकादशी के व्रत से राजा यमुना की मनोकामना पूर्ण हुई।
कथा 2: धनपाल ब्राह्मण और अपरा एकादशी
एक अन्य कथा के अनुसार, धनपाल नाम का एक गरीब ब्राह्मण था। वह बहुत गरीब था और उसे भोजन के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था। एक दिन, भटकते हुए उसकी मुलाकात एक संत से हुई। धनपाल ने संत को अपनी गरीबी के बारे में बताया। संत ने उसकी दशा देखकर दया भाव रखा और
उसे अपरा एकादशी का व्रत रखने का उपाय बताया। संत ने कहा कि इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और वे अपने भक्तों की दरिद्रता दूर करते हैं। धनपाल ने संत की बात मानकर विधिपूर्वक अपरा एकादशी का व्रत रखा। उसने भगवान विष्णु की सच्ची श्रद्धा से पूजा की। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उसे धन-धान्य से भरपूर किया। अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से धनपाल का जीवन सुखमय हो गया।
इन कथाओं से स्पष्ट होता है कि अपरा एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
अपरा एकादशी से जुड़ी कुछ लोकप्रिय मान्यताएं इस प्रकार हैं:
अपरा एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति, पापों से मुक्ति, और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। उचित नियमों का पालन करते हुए और शुद्ध भाव से भगवान विष्णु की पूजा करने से अपरा एकादशी का व्रत सफल होता है।
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अपरा एकादशी का व्रत कई कारणों से रखा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना होता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं, जैसे:
पापों से मुक्ति
मनोवांछित फल की प्राप्ति
मोक्ष की प्राप्ति
सौभाग्य वृद्धि
पुण्य लाभ
अपरा एकादशी का व्रत रखने के लिए कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं:
व्रत का संकल्प लें।
सात्विक भोजन का सेवन करें।
भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें।
रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
दान का महत्व है, गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
सत्य बोलें, सदाचार का पालन करें और दूसरों की मदद करें।
पारण का समय निर्धारित शुभ मुहूर्त में ही करें।
अपरा एकादशी के दौरान कुछ खास चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है। इनमें शामिल हैं:
तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, अंडे)
अनाज (चावल, गेहूं, जौ)
लहसुन और प्याज
मसूर, चना और उड़द दाल
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