हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज या कजरी तीज के नाम से भी जाना जाता है, सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह त्योहार हर साल सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है और प्रेम, विवाह और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं और माता पार्वती की पूजा करती हैं। आइए इस लेख में हरियाली तीज 2024 की तिथि, पूजा विधि, पौराणिक कथा और महत्व के बारे में विस्तार से जानें।
हरियाली तीज 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त
2024 में, हरियाली तीज का पर्व मंगलवार, 6 अगस्त को मनाया जाएगा।
- तृतीया तिथि प्रारंभ: 6 अगस्त 2024, सुबह 3:24 बजे
- तृतीया तिथि समाप्त: 7 अगस्त 2024, सुबह 2:48 बजे
- शुभ मुहूर्त: 6 अगस्त 2024, सुबह 6:29 बजे से 8:30 बजे तक
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तिथियों और मुहूर्तों में क्षेत्र के अनुसार थोड़ा बदलाव हो सकता है। इसलिए अपने स्थानीय पंचांग या धर्मगुरु से सटीक जानकारी प्राप्त करना उचित रहेगा।
पूजा विधि
हरियाली तीज की सुबह शुभ मुहूर्त में पूजा करने का विधान है। आइए विधि के बारे में विस्तार से जानें:
- पूजा की तैयारी:
- पूजा से पहले स्नान कर साफ और सुथरे वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और सजाएं।
- एक चौकी या आसन पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- देवी-देवताओं की स्थापना:
- चौकी पर माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- यदि आपके पास मूर्ति या चित्र उपलब्ध न हों तो उनकी मन में ही कल्पना कर लें।
- पूजा का आरंभ:
- दीपक जलाएं और धूपबत्ती जलाकर पूजा का शुभारंभ करें।
- देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं।
- अक्षत, चंदन, सिंदूर और पुष्प अर्पित करें।
- पत्ते, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- मंत्रोच्चार और कथा वाचन:
- “ॐ पार्वत्यै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥” जैसे मंत्रों का जाप करें।
- हरियाली तीज की कथा का पाठ करें। कथा सुनने या पढ़ने से व्रत का फल प्राप्त होता है।
- पूजा का समापन:
- पूजा के अंत में माता पार्वती की आरती करें।
- पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
- प्रसाद का वितरण करें।
हरियाली तीज की पौराणिक कथाएं
तीज के त्योहार से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से तीन प्रमुख कथाएं इस प्रकार हैं:
- पार्वती तपस्या की कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती अपने पिछले जन्म में पार्वती के रूप में जन्मी थीं। शिव को पति रूप में पाने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की थी। उन्होंने कठिन व्रत रखे और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ध्यान किया। पार्वती की कठिन तपस्या से अंततः भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। यही कारण है कि हरियाली तीज को सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं।
- शिव-पार्वती मिलन की कथा:
एक अन्य कथा के अनुसार, हरियाली तीज के दिन ही माता पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन हुआ था। विवाह के बाद भगवान शिव को कैलाश पर्वत पर ध्यान करने के लिए जाना पड़ा। माता पार्वती अपने पति से दूर रहने लगीं और उन्हें बहुत याद किया। हर साल सावन महीने की तृतीया तिथि को माता पार्वती अपने मायके से कैलाश वापस आती थीं और भगवान शिव से मिलती थीं। यही कारण है कि हरियाली तीज को सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक माना जाता है।
- कृष्ण और गोपियों की रासलीला:
कुछ क्षेत्रों में, हरियाली तीज के दिन भगवान कृष्ण और गोपियों के बीच रासलीला की कथा भी प्रचलित है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने वृंदावन की गोपियों के साथ रासलीला की थी।
हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज का त्योहार सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके कुछ प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं:
- प्रेम और विवाह का प्रतीक: हरियाली तीज का त्योहार प्रेम, विवाह और दाम्पत्य जीवन के सुख का प्रतीक है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के प्रति समर्पण और प्रेमभाव व्यक्त करती हैं।
- सुख-समृद्धि की कामना: महिलाएं इस दिन व्रत रखकर और पूजा करके अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और परिवार के कल्याण की कामना करती हैं।
- प्रकृति के प्रति कृतज्ञता: सावन का महीना हरियाली और वर्षा ऋतु का प्रतीक माना जाता है। हरियाली तीज के माध्यम से महिलाएं प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हैं।
- सामुदायिक सभा और उत्सव: हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सामुदायिक सभा का अवसर भी होता है। महिलाएं एक-दूसरे के घरों में मिलती हैं, हंसी-खुशी करती हैं, मेहंदी लगाती हैं, झूला झूलती हैं और त्योहार का आनंद लेती हैं।
हरियाली तीज के लोकप्रिय रिवाज
हरियाली तीज के त्योहार से जुड़े कई लोकप्रिय रिवाज भी हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में मनाए जाते हैं। कुछ प्रमुख रिवाज इस प्रकार हैं:
- व्रत रखना: सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला या केवल फलाहारी का व्रत रखती हैं।
- मेहंदी लगाना: मेहंदी लगाना हरियाली तीज का एक खास रिवाज है। महिलाएं अपने हाथों और पैरों पर सुंदर मेहंदी की डिजाइन बनाती हैं।
- झूला झूलना: हरियाली तीज के दिन महिलाएं सजावटी झूलों पर झूलती हैं और गाना गाती हैं। यह खुशी और उत्सव का प्रतीक है।
- नृत्य और संगीत: कुछ क्षेत्रों में, हरियाली तीज के अवसर पर लोक नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है।
- तीज की थाल: कुछ क्षेत्रों में महिलाएं एक-दूसरे को “तीज की थाल” भेंट करती हैं।
हरियाली तीज की तैयारियां
हरियाली तीज का त्योहार मनाने के लिए कुछ तैयारियां भी जरूरी होती हैं। आइए देखें कि आप किस प्रकार से आगामी हरियाली तीज के लिए तैयारी कर सकती हैं:
- पूजा की सामग्री: पूजा से पहले ही दीपक, अगरबत्ती, गंगाजल, सिंदूर, हल्दी, मौली, धूप, फल, फूल, मिठाई आदि पूजा सामग्री इकट्ठी कर लें।
- वस्त्र और श्रृंगार: इस विशेष अवसर के लिए सुंदर साड़ी या सलवार कमीज पहनें। मेहंदी लगाने के लिए मेहंदी कोन तैयार रखें। आप चाहें तो पारंपरिक आभूषण भी पहन सकती हैं।
- तीज की झूला सजावट: यदि आपके घर में झूला है तो उसे रंगीन कपड़े, फूलों की माला और दुपट्टों से सजाएं।
- भोजन और मीठा: व्रत के बाद परिवार के साथ भोजन करने के लिए व्यंजन तैयार करें। आप खीर, हलवा, पकौड़े जैसी पारंपरिक मिठाइयां भी बना सकती हैं।
- उपहारों की व्यवस्था : कुछ क्षेत्रों में हरियाली तीज पर ससुराल से विवाहित महिलाओं को उपहार भेजे जाते हैं। आप अपने लिए या ससुराल से आने वाले उपहारों के लिए भी तैयारी कर सकती हैं।
उपसंहार
हरियाली तीज का त्योहार प्रेम, विवाह, सुख-समृद्धि, प्रकृति और परंपरा का उत्सव है। यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए अपने पति के प्रति समर्पण और प्रेमभाव व्यक्त करने का एक खास अवसर होता है। उम्मीद है कि यह लेख आपको हरियाली तीज 2024 की तिथि, पूजा विधि, पौराणिक कथा और महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। आप इस शुभ अवसर को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और अपने प्रियजनों के साथ खुशियां बांटें।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
हरियाली तीज 2024 किस दिन है?
हरियाली तीज का पर्व हर साल सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में, यह पर्व मंगलवार, 6 अगस्त को पड़ेगा।
हरियाली तीज की पूजा विधि क्या है?
हरियाली तीज की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ कर सजाएं। लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता पार्वती, भगवान शिव और भगवान गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इसके बाद दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें। देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं और अक्षत, चंदन, सिंदूर और पुष्प चढ़ाएं। “ॐ पार्वत्यै नमः” या “या देवी सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥” जैसे मंत्रों का जाप करें और हरियाली तीज की कथा का पाठ करें। अंत में माता पार्वती की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
हरियाली तीज की तैयारियां कैसे करें?
हरियाली तीज का त्योहार मनाने के लिए कुछ तैयारियां जरूरी होती हैं। आप पूजा से पहले ही दीपक, अगरबत्ती, गंगाजल, सिंदूर, हल्दी, मौली, धूप, फल, फूल, मिठाई आदि पूजा सामग्री इकट्ठी कर सकती हैं। इस खास अवसर के लिए सुंदर साड़ी या सलवार कमीज पहने।