गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का पवित्र अवसर है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति और आत्मिक विकास का प्रतीक है।
पूर्णिमा 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 2024 में गुरु पूर्णिमा का पर्व रविवार, 21 जुलाई को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में –
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 20 जुलाई 2024, शाम 6:01 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 21 जुलाई 2024, शाम 3:48 बजे
- गुरु पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त: 21 जुलाई 2024, सुबह 7:15 बजे से 11:15 बजे तक
व्रत विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और पूजा करने की परंपरा है। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा के व्रत और पूजा विधि के बारे में –
- पूर्व तैयारियां: गुरु पूर्णिमा के एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- स्नान और पूजा की तैयारी: पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें और गुरुजी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- गुरु पूजन: दीप प्रज्वलित करें और गुरुजी को फल, फूल, मिठाई और दक्षिणा अर्पित करें। गुरु मंत्र का जाप करें और उनका ध्यान करें।
- व्रत नियम: यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो पूरे दिन निर्जला रहें या केवल फलाहार ग्रहण करें।
- शाम की आरती और व्रत पारण: शाम को चंद्रोदय के बाद गुरुजी की आरती करें और व्रत का पारण करें।
ध्यान दें: व्रत रखने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही व्रत रखें।
गुरु पूर्णिमा पूजा के लाभ
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के अनेक लाभ हैं –
- ज्ञान, बुद्धि और विवेक की वृद्धि: गुरुओं की कृपा से ज्ञान, बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता प्राप्त होती है।
- पापों का नाश और मनोकामना पूर्ति: इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
- आत्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति: गुरु का मार्गदर्शन आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। गुरुओं की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- सफलता और समृद्धि: गुरु का आशीर्वाद सफलता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
महत्व
गुरु पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा के महत्व के विभिन्न आयामों को –
- गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना: इस दिन गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पवित्र अवसर है। गुरुओं का मार्गदर्शन जीवन को सफल और सार्थक बनाता है । इस दिन गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त कर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
- ज्ञान और शिक्षा का पर्व: गुरु पूर्णिमा का दिन ज्ञान और शिक्षा का पर्व है। इस दिन ज्ञान के महत्व को रेखांकित किया जाता है। गुरु शिष्य परंपरा के माध्यम से ज्ञान का प्रसार होता है। गुरु शिष्य मिलन का यह पर्व ज्ञानार्जन और आत्मविकास की प्रेरणा देता है।
- आत्मज्ञान और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग: गुरु का मार्गदर्शन आत्मज्ञान प्राप्त करने में सहायक होता है। गुरु शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरुओं की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु का मार्गदर्शन सर्वोपरि है।
- समाज में सद्व्यवस्था स्थापना: गुरु समाज में सद्व्यवस्था स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गुरु अच्छे संस्कार प्रदान कर व्यक्ति को आदर्श नागरिक बनाते हैं। गुरु पूर्णिमा का पर्व समाज में गुरुओं के योगदान को सम्मानित करने का अवसर है।
पौराणिक कथाएं
गुरु पूर्णिमा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं इन कथाओं के बारे में –
- वेद व्यास का जन्मदिन: गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। इन्होंने ही वेदों का संकलन और विभाजन किया था। इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
- महर्षि वेदव्यास द्वारा गुरु मंत्र प्रदान करना: गुरु पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों को गुरु मंत्र दिया था। इस दिन को गुरु मंत्र प्राप्ति के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
- भगवान विष्णु का क्षीरसागर में शयन: गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। इस दौरान सृष्टि का संचालन स्वयं होता है।
पूर्णिमा पर किए जाने वाले विशेष कार्य
गुरु पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर कुछ विशेष कार्य करके इस दिन को और भी सार्थक बनाया जा सकता है –
- गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता: इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता कर गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
- वृक्षारोपण: पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए इस दिन वृक्षारोपण किया जा सकता है। यह कार्य गुरुओं को भी प्रसन्न करेगा।
- गाय को भोजन कराना: हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। इस दिन गाय को भोजन कराना पुण्यदायक माना जाता है।
- सभी जीवों के प्रति दया भाव: इस पवित्र अवसर पर किसी भी जीव को हिंसा न पहुंचाएं। सभी जीवों के प्रति दया भाव रखें। यह गुरुओं को प्रसन्न करने का उत्तम उपाय है।
आध्यात्मिक विकास का अवसर
गुरु पूर्णिमा का पर्व केवल एक धार्मिक त्योहार ही नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक विकास का भी अवसर है। इस दिन गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के साथ-साथ आत्मचिंतन करने का भी अवसर मिलता है। गुरुओं के मार्गदर्शन में आत्मज्ञान प्राप्त कर जीवन को सफल और सार्थक बनाया जा सकता है।
गुरु वंदना
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरु वंदना का पाठ करना शुभ माना जाता है। आइए, गुरु वंदना के माध्यम से अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त करें –
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।। गुरुः साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ।।
अर्थात् – गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु हैं और गुरु ही शिव हैं। गुरु साक्षात् परब्रह्म हैं। उन गुरुदेव को मेरा नमस्कार है।
गुरु पूर्णिमा का यह पर्व हमें सदैव ज्ञान प्राप्त करने और गुरुओं का सम्मान करने की प्रेरणा देता है।
उपसंहार
गुरु पूर्णिमा का पर्व हमें गुरुओं के महत्व को याद दिलाता है। गुरु हमारे जीवन में ज्ञान का दीप जलाते हैं और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। इस पवित्र अवसर पर गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त कर उनके प्रति कृतज्ञता जरूर व्यक्त करें। गुरु पूर्णिमा के दिन किए गए शुभ कर्म और सत्संग आध्यात्मिक विकास में सहायक होते हैं। आइए इस गुरु पूर्णिमा को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है?
गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। 2024 में गुरु पूर्णिमा का पर्व रविवार, 21 जुलाई को मनाया जाएगा।
गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व है?
गुरु पूर्णिमा का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। यह दिन गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, ज्ञान प्राप्त करने और आत्मिक विकास का अवसर है। गुरु शिष्य परंपरा के माध्यम से ज्ञान का प्रसार होता है। गुरु का मार्गदर्शन जीवन में सफलता प्राप्त करने, सद्व्यवस्था स्थापित करने और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
गुरु पूर्णिमा पर क्या किया जाता है?
गुरु पूर्णिमा के पवित्र अवसर पर कई शुभ कार्य किए जा सकते हैं। आप गुरुओं की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना, वृक्षारोपण करना और गाय को भोजन कराना पुण्यदायक माना जाता है। साथ ही, सभी जीवों के प्रति दया भाव रखना और सत्संग में शामिल होना आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
गुरु पूर्णिमा से जुड़ी कौन-सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं?
गुरु पूर्णिमा से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें से प्रमुख हैं – महर्षि वेद व्यास का जन्मदिन, महर्षि वेदव्यास द्वारा शिष्यों को गुरु मंत्र प्रदान करना और भगवान विष्णु का क्षीरसागर में शयन करना।
गुरु पूर्णिमा का त्योहार किन देशों में मनाया जाता है?
गुरु पूर्णिमा का पर्व केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल, भूटान, मॉरीशस और सिंगापुर जैसे देशों में भी मनाया जाता है। इन देशों में भी गुरुओं को सम्मान देने की परंपरा है।