हिंदी पंचांग में अंतिम महीने के रूप में विराजमान फाल्गुन माह अपने साथ खास रंग लेकर आता है। इसे आनंद और उल्लास का महीना माना जाता है। सर्दी धीरे-धीरे विदा लेती है, वसंत ऋतु की मंद-मंद सुगंध हवा में घुलने लगती है। ऐसे में धरती एक सजी-धजी दुल्हन की तरह नजर आती है और मानव हृदय में प्रेम का रंग घुलने लगता है। फाल्गुन माह का प्राकृतिक, वैज्ञानिक और धार्मिक रूप से विशेष महत्व है। आइए जानें इस खास महीने के बारे में, क्यों ये खास है, क्या करें और क्या न करें।
फाल्गुन माह की प्राकृतिक छटा मन को मोह लेती है। सर्दी कम होने से दिन लंबे हो जाते हैं। वसंत के आगमन से प्रकृति खिल उठती है। ऐसे मनमोहक वातावरण में फाल्गुन के प्रमुख त्योहार होली और महाशिवरात्रि आध्यात्मिकता और उत्साह का संचार करते हैं। मान्यता है कि इस महीने में दान का विशेष महत्व होता है और दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
फाल्गुन माह का आनंद लें, प्रकृति की छटा में रंग जाएं, त्योहारों में खो जाएं और आस्था का दीप जलाएं। यही खुशियां और सकारात्मकता इस जीवन को सार्थक बनाती हैं।
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फाल्गुन माह कई वजहों से खास है:
प्रकृति का सौंदर्य: सर्दी कम होकर वसंत ऋतु का आगमन होता है। प्रकृति खिल उठती है, हरियाली छा जाती है और वातावरण खुशनुमा हो जाता है।
त्योहारों का उमंग: होली और महाशिवरात्रि जैसे प्रमुख त्योहार इस महीने में ही मनाए जाते हैं, जो प्रेम, उत्साह और आध्यात्मिकता का संचार करते हैं।
धार्मिक महत्व: चंद्रमा का जन्म भी फाल्गुन में माना जाता है। इस महीने दान का विशेष महत्व होता है और माना जाता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
आनंद और उल्लास: रंगों के त्योहार होली के साथ मौसम भी खुशनुमा होने से इस महीने में उत्साह और उमंग का माहौल रहता है।
मौसम के हिसाब से ठंडे या साधारण पानी से स्नान करें। गर्म पानी से हानिकारक हो सकता है।
शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए फलों का सेवन बढ़ाएं।
रंग-बिरंगे वस्त्र और खुशबूदार परफ्यूम का इस्तेमाल शुभ माना जाता है।
नशे, मांसाहार आदि से परहेज करें।
नियमित रूप से भगवान कृष्ण की पूजा करें और फूल चढ़ाएं।
महाशिवरात्रि पर शिवजी की विधि-विधान से पूजा करें।
चंद्रमा को अर्घ्य देकर तनावमुक्त रहें।
फाल्गुन माह में दो प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं:
होली: प्रेम, खुशी और रंगों का प्रतीक, जिसे फाल्गुन पूर्णिमा के बाद खेला जाता है।
महाशिवरात्रि: भगवान शिव की पूजा का महापर्व, जो फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है।
भगवान कृष्ण की बालरूप, युवा रूप और गुरु कृष्ण रूप की पूजा की जाती है।
चंद्रमा की विशेष पूजा से मानसिक शांति मिलती है।
महाशिवरात्रि पर शिवजी की उपासना की जाती है।
कई लोग व्रत रखते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
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