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Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों को प्रसन्न करें उनके प्रिय भोग से

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो नौ दिनों तक चलता है और माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दौरान भक्त माता की कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, जिनमें पूजा, उपवास और भोग अर्पण करना शामिल है। माना जाता है कि हर रूप को प्रसन्न करने के लिए विशिष्ट भोग चढ़ाया जाता है। आइए जानते हैं नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद के बारे में।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों को प्रसन्न करें उनके प्रिय भोग से

माता दुर्गा के नौ रूपों का प्रिय भोग

1. मां शैलपुत्री:

  • प्रथम दिन, माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
  • उन्हें सफेद रंग की चीजें और गाय के घी से बने व्यंजन पसंद हैं।
  • सफेद पकवानों का भोग लगाने से रोगों से मुक्ति मिलती है।

2. मां ब्रह्मचारिणी:

  • द्वितीय दिवस, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है।
  • उन्हें चीनी पंचामृत और चीनी से बनी वस्तुएं पसंद हैं।
  • पंचामृत और चीनी का भोग लगाने से आयु में वृद्धि होती है।

3. मां चंद्रघंटा:

  • तृतीय दिवस, माता चंद्रघंटा की पूजा होती है।
  • उन्हें दूध से बनी मिठाईयां पसंद हैं।
  • दूध से बनी मिठाईयों का भोग लगाने से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

4. मां कुष्मांडा:

  • चतुर्थ दिवस, माता कुष्मांडा की पूजा होती है।
  • उन्हें मालपुए पसंद हैं।
  • मालपुए का भोग लगाने से बुद्धि में वृद्धि और निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।

5. मां स्कंदमाता:

  • पंचम दिवस, माता स्कंदमाता की पूजा होती है।
  • उन्हें केले पसंद हैं।
  • केले का भोग लगाने से बेहतर स्वास्थ्य और विभिन्न प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है।

6. मां कात्यायनी:

  • षष्ठ दिवस, माता कात्यायनी की पूजा होती है।
  • उन्हें शहद और मीठे पान पसंद हैं।
  • शहद और मीठे पान का भोग लगाने से परिवार में मिठास और खुशी का माहौल बना रहता है।

7. मां कालरात्रि:

  • सप्तम दिवस, माता कालरात्रि की पूजा होती है।
  • उन्हें गुड़ से बनी चीजें पसंद हैं।
  • गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने से गुप्त शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।

8. मां महागौरी:

  • अष्टम दिवस, माता महागौरी की पूजा होती है।
  • उन्हें नारियल से बने व्यंजन पसंद हैं।
  • नारियल से बने व्यंजनों का भोग लगाने से धन लाभ और संतान सुख प्राप्त होता है।

9. मां सिद्धिदात्री:

  • नवम दिवस, माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है।
  • उन्हें खीर और हलवा पसंद हैं।
  • खीर और हलवे का भोग लगाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

नवरात्रि के दौरान इन भोगों को लगाने से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

नवरात्रि में मां दुर्गा को भोग क्यों लगाया जाता है?

नवरात्रि में मां दुर्गा को भोग लगाने की परंपरा सदियों पुरानी है। ऐसा माना जाता है कि माता को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भोग चढ़ाया जाता है। हर दिन एक विशिष्ट भोग चढ़ाने से यह दर्शाता है कि हम उनकी भक्ति और सेवा में समर्पित हैं। साथ ही, यह माना जाता है कि भोग लगाने से भक्त और देवी के बीच एक दिव्य संबंध स्थापित होता है।

नवरात्रि के नौ दिनों में कौन-कौन से भोग लगाए जाते हैं?

नवरात्रि के नौ दिनों में अलग-अलग रूपों वाली माता दुर्गा को अलग-अलग भोग लगाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, पहले दिन मां शैलपुत्री को सफेद रंग की चीजें और गाय के घी से बने व्यंजन पसंद हैं, जबकि दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को मीठी चीजें प्रिय हैं। इसी तरह, हर दिन एक विशिष्ट भोग चढ़ाया जाता है, जिसका उल्लेख लेख में विस्तार से किया गया है।

क्या नवरात्रि में भोग लगाना अनिवार्य है?

नवरात्रि में भोग लगाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। भक्त अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार भोग चढ़ा सकते हैं। अगर आप भोग नहीं चढ़ा पा रहे हैं, तो भी आप माता की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

नवरात्रि के दौरान भोग का प्रसाद ग्रहण करने के क्या फायदे हैं?

यह माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान माता को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और आशीर्वाद मिलता है। साथ ही, प्रसाद ग्रहण करने से भक्ति भाव बढ़ता है और मन में शुद्ध भावनाएं पैदा होती हैं।

क्या नवरात्रि के नौ दिनों में वही भोग लगाना जरूरी है?

नवरात्रि के नौ दिनों में बताए गए भोग सुझाव मात्र हैं। आप अपनी श्रद्धा और उपलब्धता के अनुसार भोग चढ़ा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप पूजा करते समय पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव रखें।

Ankit Singh

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