सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस महीने का सूर्य पूजा के लिए भी विशेष महत्व है? जी हां, सावन में एक खास दिन पड़ता है जिसे भानु सप्तमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्य देव की उपासना करना शुभ फलदायी माना जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत और पूजा का महत्व, विधि और लाभ के बारे में।
सावन के महीने में रविवार के दिन जब सप्तमी तिथि पड़ती है, तो उस दिन को भानु सप्तमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्य देवता की कृपा पाने के लिए व्रत और पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य की उपासना करने से बुद्धि का विकास होता है, मानसिक शांति मिलती है, रोगों का नाश होता है, धन-समृद्धि प्राप्त होती है और पिता-पुत्र के बीच प्रेम बना रहता है।
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें और उसमें लाल चंदन, लाल फूल, चावल और कुछ गेहूं के दाने डालें। उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करते हुए “ऊं घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। इसके बाद भगवान भास्कर को नमस्कार करें, गायत्री मंत्र का जाप करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। आप चाहें तो भगवान सूर्य के 12 नामों का भी जाप कर सकते हैं।
सूर्य देव के समक्ष बैठकर दिनभर बिना नमक का व्रत करने का संकल्प लें। पूरे दिन तांबे के बर्तन से पानी पीएं और सात्विक भोजन ग्रहण करें। भोजन में भी नमक का प्रयोग न करें। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अपनी श्रद्धानुसार दान करें, जिसमें भोजन, वस्त्र या कोई भी उपयोगी वस्तु शामिल हो सकती है। गाय को चारा और पशु-पक्षियों को भोजन देना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
भानु सप्तमी पर पूजा-व्रत करने से कई लाभ मिलते हैं, जैसे-
इस प्रकार हम देखते हैं कि सावन महीने में भानु सप्तमी का व्रत और पूजा करना अत्यंत लाभदायक है। यह व्रत व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से लाभ पहुंचाता है। यदि आप सफलता और सुखी जीवन की कामना रखते हैं तो इस विशेष दिन को अवश्य याद रखें और सूर्य देव की उपासना करें।
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सावन मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए जाना जाता है, लेकिन इस महीने में रविवार के दिन सप्तमी तिथि पड़ने पर भानु सप्तमी मनाई जाती है, जो सूर्य देवता की उपासना के लिए विशेष अवसर है। इस दिन सूर्य की कृपा पाने से बुद्धि, शांति, स्वास्थ्य, धन, समृद्धि आदि की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
सूर्योदय पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चंदन, फूल, चावल और गेहूं के दाने डालें। उगते सूर्य को जल अर्पित करते हुए “ऊं घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। भगवान सूर्य को नमस्कार करें, गायत्री मंत्र या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें और चाहें तो 12 नामों का जाप भी करें।
सूर्य देव के सामने दिनभर बिना नमक का व्रत रखने का संकल्प लें। तांबे के बर्तन से पानी पीएं और सात्विक भोजन करें। भोजन में भी नमक न खाएं। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद दान करें। गाय को चारा और पशु-पक्षियों को भोजन देना भी शुभ माना जाता है। व्रत से शरीर और मन शुद्ध होता है, साथ ही सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
भानु सप्तमी सावन महीने में रविवार के दिन सप्तमी तिथि को पड़ती है। यह हर साल अलग-अलग तारीख को आती है। 2024 में यह 11 अगस्त को है। सटीक तिथि जानने के लिए आप पंचांग का सहारा ले सकते हैं।
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