भाद्रपद पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह वह पवित्र दिन है जब चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है और आकाश में अत्यंत चमकीला दिखाई देता है। वर्ष 2024 में भाद्रपद पूर्णिमा का पर्व 18 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। यह आध्यात्मिक चेतना, सौभाग्य और समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। आइए, इस लेख में हम भाद्रपद पूर्णिमा के महत्व, तिथि, पूजा विधि, उपायों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को विस्तार से जानें।
धार्मिक और पौराणिक महत्व (Bhadrapada Purnima September 2024)
भाद्रपद पूर्णिमा का धार्मिक और पौराणिक महत्व कई स्तरों पर है।
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना: हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर शयन करते हैं और उनकी प्रियतमा देवी लक्ष्मी उनकी चरण-सेवा करती हैं। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, वैभव और वैवाहिक जीवन में मंगल का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- पवित्र स्नान का विधान: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों या सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है।
- पितृ स्मरण और श्राद्ध कर्म: भाद्रपद पूर्णिमा के पश्चात् पितृ पक्ष आरंभ होता है। अतः इस दिन लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनका स्मरण करते हुए श्राद्ध कर्म करते हैं।
- कौमुदी महोत्सव: कुछ क्षेत्रों में भाद्रपद पूर्णिमा को “कौमुदी महोत्सव” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रात में लोग अपने घरों और मंदिरों में दीप जलाते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।
पूजा विधि: शुभता और सफलता के लिए मार्गदर्शन (September Purnima 2024)
भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि सरल है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण कर्मकांड शामिल होते हैं। इनका विधि-पूर्वक पालन करने से पूजा का फल शुभ और सफल होता है। आइए, विस्तार से जानें भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि-
- पूजा की तैयारी: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ-सुथरा कर लें। एक चौकी या आसन बिछाकर उस पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- आवाहन और स्नान: पूजा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आवाहन करें। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से उनका स्नान कराएं।
- अर्चन और वस्त्र: अब भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को चंदन, पुष्प और तुलसी अर्पित करें। इसके पश्चात् सुंदर वस्त्र भी उन्हें चढ़ाएं।
- दीप प्रज्वलन और आरती: एक दीपक जलाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती करें। आरती के बाद भोग लगाएं। आप उन्हें फल, मिठाई या पंचामृत का भोग लगा सकते हैं।
- मंत्र जाप और ध्यान: इसके पश्चात् आप “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “श्रीं महालक्ष्मीये नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं। साथ ही, शांत चित्त होकर कुछ समय के लिए ध्यान भी लगाएं।
- चंद्रोदय और अर्घ्य: भाद्रपद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके लिए आप कच्चे दूध में शहद और गंगाजल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
- पूजा का समापन: अंत में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का समापन करें। पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें और प्रसाद ग्रहण करें।
भाद्रपद पूर्णिमा के लिए विशेष उपाय: मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए(Bhadrapada Purnima 2024 Upaay)
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष उपाय करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। आइए, जानें इन उपायों के बारे में-
- धन-समृद्धि के लिए: भाद्रपद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देते समय कच्चे दूध में थोड़े से चावल, गंगाजल और चीनी मिलाकर अर्घ्य दें। ऐसा करने से धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
- विवाह में बाधा दूर करने के लिए: यदि विवाह में कोई बाधा आ रही है तो भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने 11 कन्याओं को भोजन कराएं। भोजन में पूरिया, सब्जी, खीर और मिठाई आदि शामिल करें। कन्याओं को दक्षिणा और उपहार भी दें। ऐसा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं और शीघ्र विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है।
- संतान प्राप्ति के लिए: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति भाद्रपद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की संयुक्त रूप से पूजा करें। पूजा के बाद भगवान को पुत्र प्राप्ति का संकल्प लें और नियमित रूप से विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- मानसिक शांति के लिए: भाद्रपद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की शीतल रोशनी में बैठकर ध्यान करें। ध्यान के दौरान “ॐ शांतिः” मंत्र का जाप करें। इससे मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन तुलसी की पूजा करें। तुलसी के पत्तों को पीसकर उसका लेप बना लें। इस लेप को माथे पर लगाएं। ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है और रोगों से बचाव होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति के लिए: भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा करें। भगवान को शंख, चक्र, गदा और कमल अर्पित करें। साथ ही, “विष्णु चतुर्भुज स्तोत्र” का पाठ करें। ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
पूर्णिमा से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां हैं, जिन्हें जानना आपके लिए लाभदायक हो सकता है।
- चंद्रोदय का समय: वर्ष 2024 में भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय 18 सितंबर को रात 8:06 बजे होगा।
- पूर्णिमा तिथि का समापन: भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि 19 सितंबर, 2024 को सुबह 8:06 बजे समाप्त होगी। अतः पूजा और अनुष्ठान करने का शुभ मुहूर्त 18 सितंबर की रात्रि ही रहेगा।
- त्योहारों का क्रम: भाद्रपद पूर्णिमा के ठीक बाद पितृ पक्ष आरंभ होता है। अतः इस दिन लोग अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और श्राद्ध कर्म करते हैं।
- व्रत का पालन: कुछ लोग भाद्रपद पूर्णिमा के दिन व्रत भी रखते हैं। व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और पूरे दिन निर्जल या सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। रात्रि में चंद्रोदय के बाद व्रत का पारण करते हैं।
- कौमुदी महोत्सव: जैसा कि पहले बताया गया है, कुछ क्षेत्रों में भाद्रपद पूर्णिमा को “कौमुदी महोत्सव” के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रात में लोग अपने घरों आंगनों और मंदिरों में दीप जलाते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।
भाद्रपद पूर्णिमा का पर्व आध्यात्मिकता, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और उपाय करने से जीवन में सुख-शांति का वास होता है। आशा है कि यह लेख आपको भाद्रपद पूर्णिमा के महत्व, पूजा विधि और उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने में सफल रहा।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
भाद्रपद पूर्णिमा 2024 किस दिन है?
भाद्रपद पूर्णिमा 2024 को 18 सितंबर, बुधवार के दिन मनाया जाएगा।
भाद्रपद पूर्णिमा का क्या महत्व है?
भाद्रपद पूर्णिमा का धार्मिक, पौराणिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है। कुछ क्षेत्रों में इसे “कौमुदी महोत्सव” के रूप में मनाया जाता है। यह दिन आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि क्या है?
भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि सरल है। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ कर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की स्थापना करें। उनका आवाहन कर स्नान कराएं। चंदन, पुष्प और तुलसी अर्पित करें। दीप जलाकर आरती करें। भोग लगाएं। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “श्रीं महालक्ष्मीये नमः” मंत्र का जाप करें। ध्यान लगाएं। रात में चंद्रोदय पर अर्घ्य दें। पूजा का समापन करें।
भाद्रपद पूर्णिमा पर कौन से उपाय किए जा सकते हैं?
भाद्रपद पूर्णिमा पर मनचाही इच्छाओं की पूर्ति के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। धन-समृद्धि के लिए कच्चे दूध में चावल, गंगाजल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। विवाह में बाधा दूर करने के लिए भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के सामने 11 कन्याओं को भोजन कराएं। संतान प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की संयुक्त पूजा करें। मानसिक शांति के लिए चंद्रमा की रोशनी में बैठकर ध्यान करें। अच्छे स्वास्थ्य के लिए तुलसी की पूजा कर उसका लेप लगाएं। मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा करें।