श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन इस पवित्र महीने में एकादशी का विशेष महत्व है। श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह व्रत उन दंपतियों के लिए वरदान माना जाता है जो संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं। पुत्र प्राप्ति के अलावा, इस व्रत के कई धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ भी हैं। आइए, इस लेख में श्रावण पुत्रदा एकादशी 2024 की तिथि, पूजा विधि, महत्व, पौराणिक कथा और कुछ अतिरिक्त जानकारियों के बारे में विस्तार से जानें।
इस वर्ष 2024 में श्रावण पुत्रदा एकादशी का पर्व 16अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा. आइए देखें, इस दिन के शुभ मुहूर्तों को –
पुत्रदा एकादशी के व्रत को विधि-विधान से करने से ही आपको अधिकतम लाभ प्राप्त होगा। आइए जानें, इस व्रत की पूजा विधि के बारे में –
पुत्रदा एकादशी का व्रत न केवल संतान प्राप्ति के लिए बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। आइए देखें, इस व्रत के कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ –
पुत्रदा एकादशी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा राजा मांधाता से जुड़ी है। राजा मांधाता को संतान प्राप्ति की इच्छा थी, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं हो रहा था। इस चिंता से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने महर्षि नारद से सलाह ली। महर्षि नारद ने उन्हें श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी का व्रत रखने का उपदेश दिया। राजा मांधाता ने विधि-विधान से श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इसके बाद राजा मांधाता को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक उत्तम उपाय है। यदि आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या अपने जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति चाहते हैं तो आपको श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। इस लेख में दी गई जानकारी के अनुसार विधि-विधान से पूजा करें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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वर्ष 2024 में श्रावण पुत्रदा एकादशी का पर्व 16अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। आप शुभ मुहूर्तों की जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख में दी गई तिथियों और समय का अवलोकन कर सकते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत मुख्य रूप से संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों द्वारा रखा जाता है। माना जाता है कि विधि-विधान से इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति की कामना अवश्य पूर्ण होती है। लेकिन, इस व्रत का महत्व केवल संतान प्राप्ति तक ही सीमित नहीं है। यह व्रत पुत्र की सुख-समृद्धि, पापों का नाश, मोक्ष की प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति और पारिवारिक सुख-शांति के लिए भी किया जाता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि लेख में विस्तार से बताई गई है। संक्षेप में, दशमी तिथि को स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और पूजा की सामग्री तैयार कर लें। एकादशी तिथि की सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और पुत्रदा देवी की स्थापना करें और उनका विधिवत पूजन करें। फल, फूल, मिठाई, धूप, दीप आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें या भजन गाएं। रात में जागरण करें और अगले दिन पारण करके व्रत का समापन करें।
श्रावण पुत्रदा एकादशी के व्रत के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता का ध्यान रखें। अस्वस्थ होने पर डॉक्टर से सलाह लें। व्रत के दौरान दान-पुण्य करना और ब्रह्मचर्य का पालन करना शुभ माना जाता है। एकादशी के दिन अन्न का सेवन वर्जित होता है, आप फलाहार कर सकते हैं। साथ ही लहसुन, प्याज, मसूर, चना, मांस और मदिरा जैसे निषिद्ध भोजनों का सेवन न करें।
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