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Sankashti Chaturthi June 2024 : संकष्टी चतुर्थी जून 2024 में किस दिन है,जाने शुभ मुहूर्त और धन लाभ के सरल उपाय

संकष्टी चतुर्थी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे भगवान गणेश, बुद्धि के देवता और विघ्नहर्ता की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आइए, इस लेख में हम जून 2024 में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी के बारे में विस्तार से जानें।

Sankashti Chaturthi June 2024

जून 2024 में संकष्टी चतुर्थी: तिथि और मुहूर्त

जून 2024 में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 25 जून, रविवार को रखा जाएगा। आइए, इस दिन की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानें:

  • तिथि: 25 जून 2024, रविवार
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 24 जून 2024, शनिवार को 11:24 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 25 जून 2024, रविवार को 10:48 बजे
  • शुभ मुहूर्त: 25 जून 202 4, रविवार को सुबह 11:24 बजे से 12:12 बजे तक

संकष्टी चतुर्थी के लाभ

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने के अनेक लाभ हैं। आइए, जानें कि इस व्रत को करने से हमें क्या-क्या फल प्राप्त होते हैं:

  • भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति: माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
  • मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से की गई हर मनोकामना भगवान गणेश की कृपा से पूर्ण होती है।
  • संकटों का नाश: इस व्रत को करने से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं और सुख-शांति का वास होता है।
  • धन-धान्य की वृद्धि: भगवान गणेश को रिद्धि-सिद्धि के देवता भी माना जाता है। उनकी कृपा से धन-धान्य में वृद्धि होती है और व्यापार में सफलता मिलती है।
  • सुख-समृद्धि की प्राप्ति: संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

धन लाभ के सरल उपाय

धन लाभ की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। आइए, जानें कि इस दिन कुछ सरल उपाय करने से आप भगवान गणेश की कृपा से धन लाभ प्राप्त कर सकते हैं:

  • पूजा-अर्चना: संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और उनका विधिवत पूजन करें।
  • मंत्र जाप और चालीसा पाठ: भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • मोदक का भोग: भगवान गणेश को मोदक का भोग बहुत प्रिय है। अतः आप घर पर स्वादिष्ट मोदक बनाएं और भगवान गणेश को उनका भोग लगाएं।
  • दान का महत्व: दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान गणेश भी प्रसन्न होते हैं। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान गणेश भी प्रसन्न होते हैं। अतः आप इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान दे सकते हैं। आप अन्न, वस्त्र या धन का दान कर सकते हैं।
  • चंद्रमा को अर्घ्य: संकष्टी चतुर्थी की रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
  • रात्रि जागरण: इस दिन रात में जागरण करके भगवान गणेश की भक्ति करें। आप भजन-कीर्तन कर सकते हैं या फिर शांत मन से भगवान गणेश का ध्यान लगा सकते हैं।

इन उपायों को करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होगी और आपको धन लाभ होने के साथ-साथ जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होगी।

संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने की एक विधि है, जिसका पालन करना शुभ माना जाता है। आइए, जानें कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे रखें:

  • व्रत का संकल्प: संकष्टी चतुर्थी के एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि को शाम के समय व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय भगवान गणेश का ध्यान करें और उनसे व्रत को पूर्ण करने की कृपा मांगें।
  • व्रत का पालन: संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखें। आप पानी का सेवन भी नहीं कर सकते हैं।
  • पूजा-अर्चना: पूरे दिन भगवान गणेश का ध्यान करें और उनकी पूजा-अर्चना करें।
  • मंत्र जाप और चालीसा पाठ: भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें और गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • चंद्र दर्शन और अर्घ्य: संकष्टी चतुर्थी की रात्रि में चंद्रमा को देखने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। चंद्रमा को जल, दूध, फूल और अक्षत से अर्घ्य दें।
  • व्रत का पारण: अगले दिन यानी पंचमी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। आप सबसे पहले भगवान गणेश को भोग लगाएं और फिर फल या फिर सात्विक भोजन ग्रहण करके व्रत को पूरा करें।

संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा

संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। आइए, इस कथा को जानें:

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान चंद्रमा पर किसी के श्राप के कारण कलंक लग गया था। इस कलंक को दूर करने के लिए चंद्रमा ने कई उपाय किए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। अंत में उन्हें भगवान गणेश की सलाह लेनी पड़ी। भगवान गणेश ने चंद्रमा को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने की सलाह दी। चंद्रमा ने विधिवत रूप से संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की। उनकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने चंद्रमा के कलंक को दूर कर दिया। तभी से, यह माना जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

संकष्टी चतुर्थी: ज्योतिर्लिंग रूप में विराजमान भगेश गणेश की आराधना का पर्व

कुछ लोगों को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि भगवान गणेश को एक ज्योतिर्लिंग के रूप में भी पूजा जाता है। ये ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है और इसे महा गणपति के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने परशुराम को वरदान दिया था कि उनका एक रूप सदा के लिए स्थापित होगा। इसी वरदान के फलस्वरूप भगवान गणेश का ज्योतिर्लिंग रूप कोल्हापुर में स्थापित हुआ।

महा गणपति ज्योतिर्लिंग मंदिर की अपनी एक विशेष मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने और पूजा करने से ग्रहों की पीड़ा कम होती है और सौभाग्य की वृद्धि होती है। इसके अलावा, संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों के लिए भी महा गणपति की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

हालांकि, संकष्टी चतुर्थी के दिन घर पर ही भगवान गणेश की पूजा करना भी उतना ही फलदायी होता है। आप उपरोक्त विधि से विधिवत रूप से पूजा करके और भगवान गणेश को प्रसन्न कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी के उपाय: क्षेत्र विशेष की मान्यताएं

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में संकष्टी चतुर्थी को मनाने के कुछ अलग-अलग तरीके भी हैं। आइए, कुछ क्षेत्र विशेष की मान्यताओं के बारे में जानें:

  • गुजरात: गुजरात में संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता है और उनका श्रृंगार किया जाता है। इसके अलावा, इस दिन उपवास रखने वाले लोग शाम के समय थाल में मीठा भोजन सजाते हैं और गणेश जी को भोग लगाते हैं। इस भोजन को बाद में प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
  • महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में संकष्टी चतुर्थी का व्रत बहुत ही श्रद्धा के साथ रखा जाता है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा के बाद लोग उपवास रखते हैं और शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं।
  • उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में संकष्टी चतुर्थी के दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान गणेश को दूब घास अर्पित करते हैं। इसके अलावा, इस दिन गणेश जी को मोदक का भोग लगाने की भी परंपरा है।

यह ध्यान रखना जरूरी है कि ये क्षेत्र विशेष की कुछ मान्यताएं हैं। आप अपनी श्रद्धा के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख सकते हैं और भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं।

उपसंहार

संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है। इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। ज्योतिर्लिंग रूप में विराजमान भगवान गणेश की महिमा को जानने के बाद निश्चित रूप से आप उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए और अधिक प्रेरित होंगे।

इस लेख में हमने संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी, तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, उपाय और कथा को विस्तार से जाना। आशा करते हैं कि यह लेख आपको संकष्टी चतुर्थी को मनाने में सहायक होगा।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

जून 2024 में संकष्टी चतुर्थी कब है?

जून 2024 में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 25 जून, रविवार को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि 24 जून की रात 11:24 बजे से प्रारंभ होगी और 25 जून को रात 10:48 बजे समाप्त हो जाएगी। शुभ मुहूर्त 25 जून की सुबह 11:24 बजे से 12:12 बजे तक का माना गया है।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से क्या लाभ होते हैं?

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने के अनेक लाभ हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और वे आपके सभी संकट दूर करते हैं। इसके अलावा, इस व्रत को करने से मनोवांछित फल प्राप्ति, धन-धान्य की वृद्धि, सुख-समृद्धि का आगमन और जीवन में शांति का वास होता है।

संकष्टी चतुर्थी पर धन लाभ के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

संकष्टी चतुर्थी पर धन लाभ के लिए आप कुछ सरल उपाय कर सकते हैं। सबसे पहले, भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और उन्हें मोदक का भोग लगाएं। इसके बाद, गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने से भी धन लाभ की प्राप्ति होती है। अंत में, रात में जागरण करें और भगवान गणेश की भक्ति में लीन रहें। सच्ची श्रद्धा और भक्ति से भगवान गणेश आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगे।

संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे रखा जाता है?

संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने की एक विधि है। सबसे पहले, व्रत से एक दिन पहले यानी त्रयोदशी तिथि को शाम के समय व्रत का संकल्प लें। अगले दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूरे दिन निर्जला व्रत रखें और भगवान गणेश का ध्यान करें। शाम के समय चंद्रमा को देखने के बाद ही भोजन ग्रहण करें और उन्हें जल, दूध, फूल और अक्षत से अर्घ्य दें। अगले दिन यानी पंचमी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। आप सबसे पहले भगवान गणेश को भोग लगाएं और फिर फल या फिर सात्विक भोजन ग्रहण करके व्रत को पूरा करें।

Ankit Singh

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