अनंत चतुर्दशी, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है और उनसे अनंत सुख, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
2024 में, अनंत चतुर्दशी रविवार, 15 सितंबर को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि का आरंभ 14 सितंबर, 2024 को सुबह 09:02 बजे होगा और इसका समापन 15 सितंबर, 2024 को सुबह 11:15 बजे होगा। इस शुभ अवसर पर भक्त विधि-विधान से पूजा करके भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
अनंत चतुर्दशी का विशेष धार्मिक महत्व है। आइए जानते हैं इस दिन मनाए जाने वाले प्रमुख कार्यों और उनकी महत्ता के बारे में:
अनंत चतुर्दशी मनाने के लिए एक सरल लेकिन विधिपूर्वक पूजा की जाती है। यहां विस्तृत पूजा विधि बताई गई है:
अनंत चतुर्दशी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इस दिन के महत्व को दर्शाती हैं। आइए उनमें से दो प्रमुख कथाओं को जानते हैं:
जब सुशीला बड़ी हुई, तो उसका विवाह कश्यप नामक राजकुमार से हुआ। विवाह के बाद सुशीला को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। जन्म के समय, शिशु का शरीर सर्प के समान था। सुशीला घबरा गईं और उन्होंने अपने पुत्र को जंगल में छोड़ दिया।
जंगल में एक सर्प ने शिशु को देखा और उसकी देखभाल करने लगा। बड़ा होने पर, शिशु अनंत नाम से जाना गया। अनंत यह जानकर क्रोधित हुआ कि उसे जंगल में छोड़ा गया था। वह अपनी माता सुशीला से बदला लेने का निर्णय लिया।
जब अनंत सुशीला के पास पहुंचा, तो वह घबरा गईं। लेकिन अनंत ने उन्हें बताया कि वह उनका पुत्र है और उनसे बदला लेने नहीं आया है। सुशीला को गहरा पछतावा हुआ और उन्होंने अपने पुत्र को क्षमा मांगी।
अनंत ने अपनी माता को आश्वासन दिया कि वह उनका रक्षक बनेगा। इसके बाद, अनंत हमेशा सुशीला की रक्षा करता रहा। इस कथा के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और अनंत धागा धारण करने से व्यक्ति को अनंत काल तक सुरक्षा प्राप्त होती है।
अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे –
अनंत चतुर्दशी का त्योहार भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि पाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने, व्रत रखने और अनंत धागा धारण करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
इस लेख में हमने अनंत चतुर्दशी की तिथि, महत्व, पूजा विधि, पौराणिक कथाएं और व्रत के महत्व के बारे में विस्तार से जाना। आप इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु की आराधना करके अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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अनंत चतुर्दशी का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनसे सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। साथ ही, इस दिन अनंत धागा बनाकर धारण करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि अनंत धागा धारण करने से व्यक्ति को अनेक लाभ मिलते हैं, जैसे दुर्भाग्य से रक्षा, सौभाग्य की प्राप्ति, और शत्रुओं पर विजय। इसके अलावा, अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश चतुर्थी के समापन के रूप में गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि सरल है। इसमें सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम स्थापित करें। फिर उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं, वस्त्र और आभूषण अर्पित करें। इसके पश्चात, भगवान विष्णु को तुलसी की पत्तियां, फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में, लगभग 1 मीटर लंबे सूत के धागे पर 14 गांठें लगाकर अनंत धागा तैयार किया जाता है। अंत में, भगवान विष्णु को अर्पित किया गया अनंत धागा ग्रहण करें और अपनी दाहिनी कलाई पर धारण करें। पूजा के समापन पर भगवान को लगाए गए भोग का प्रसाद के रूप में वितरण करें।
अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा, अनंत चतुर्दशी का व्रत मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, मनोकामनाएं पूरी करता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में भी सहायक होता है।
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