हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है और हर पूजा में कुछ ना कुछ खास चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. उन्हीं खास चीजों में से एक है रक्षा सूत्र, जिसे हम मौली या कलावा के नाम से भी जानते हैं. यह मात्र एक रंगीन धागा नहीं है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक माना जाता है. आइए जानते हैं कि आखिर हर पूजा में रक्षा सूत्र क्यों जरूरी होता है और इस बारे में धर्म शास्त्र क्या कहते हैं.
रक्षा सूत्र के पीछे कई महत्वपूर्ण मान्यताएं हैं. सबसे पहली मान्यता यह है कि रक्षा सूत्र हमें नकारात्मक शक्तियों से बचाता है. बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा और अशुभ प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करने वाला माना जाता है. वहीं, दूसरी ओर यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को भी बढ़ाता है. रक्षा सूत्र को धारण करने से व्यक्ति में शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मक विचारों का विकास होता है.
रक्षा सूत्र सिर्फ सुरक्षा और सकारात्मकता का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम भी माना जाता है. रक्षा सूत्र को ईश्वर के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि कई धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षा सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है. पूजा, हवन, यज्ञ और अन्य धार्मिक कार्यों में रक्षा सूत्र का महत्वपूर्ण स्थान होता है.
रक्षा सूत्र का महत्व सिर्फ परंपराओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका उल्लेख हिंदू धर्म के कई धर्म ग्रंथों में भी मिलता है. वेद, पुराण, शास्त्र और संहिता जैसे ग्रंथों में रक्षा सूत्र के महत्व का वर्णन किया गया है. उदाहरण के तौर पर यज्ञोपवीत संस्कार में ब्राह्मण को रक्षा सूत्र धारण कराया जाता है. रक्षाबंधन के पर्व पर बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं और पूजा के दौरान भी देवी-देवताओं को रक्षा सूत्र अर्पित किया जाता है.
इस प्रकार, रक्षा सूत्र धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक है. यह नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा, सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, देवी-देवताओं का आशीर्वाद और धार्मिक अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. धर्म शास्त्रों में रक्षा सूत्र को सुरक्षा, समृद्धि, सफलता और कल्याण का प्रतीक माना गया है. तो अगली बार जब भी आप कोई पूजा करें, तो रक्षा सूत्र का इस्तेमाल जरूर करें.
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रक्षा सूत्र को धारण करने के कई धार्मिक और आध्यात्मिक फायदे बताए जाते हैं. माना जाता है कि यह बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा और अशुभ प्रभावों से रक्षा करता है. साथ ही, यह सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाकर व्यक्ति में शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मक विचारों का विकास करता है. रक्षा सूत्र को ईश्वर के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक भी माना जाता है.
रक्षा सूत्र का महत्व सिर्फ परंपराओं तक ही सीमित नहीं है. वैदिक काल से चले आ रहे इस रिवाज का उल्लेख हिंदू धर्म के कई महत्वपूर्ण धर्म ग्रंथों में मिलता है. वेद, पुराण, शास्त्र और संहिता जैसे ग्रंथों में रक्षा सूत्र के महत्व का वर्णन किया गया है. उदाहरण के तौर पर यज्ञोपवीत संस्कार में ब्राह्मण को रक्षा सूत्र धारण कराया जाता है.
रक्षा सूत्र का इस्तेमाल सिर्फ पूजा तक ही सीमित नहीं है. हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण अवसरों पर रक्षा सूत्र का इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के तौर पर रक्षाबंधन के पर्व पर बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं. इसके अलावा नया काम शुरू करते समय, यात्रा पर जाते समय या शुभ कार्यों से पहले भी रक्षा सूत्र धारण करने की परंपरा है.
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