मोहम्मद मुइज्जू के मालदीव के राष्ट्रपति बनने के बाद से भारत और मालदीव के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ही मुइज्जू ने भारत विरोधी रुख अपना लिया था। सत्ता संभालने के बाद उन्होंने चीन के प्रति झुकाव दिखाया और अपने पहले विदेशी दौरे पर चीन का रुख किया। यह मालदीव के इतिहास में पहली बार था, जब किसी राष्ट्रपति ने अपने पहले विदेशी दौरे के लिए चीन को चुना। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
मालदीव-चीन गुप्त समझौतों से पर्दा हटाने में हिचकचाहट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मालदीव और चीन के बीच कुछ गुप्त समझौते हुए हैं, जिन्हें मुइज्जू सरकार सार्वजनिक करने से कतरा रही है। इन समझौतों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मालदीव के आर्थिक विकास मंत्री मोहम्मद सईद द्वारा चीन के साथ किए गए 4 बड़े समझौतों की जानकारी मांगने पर सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दायर अर्जी का जवाब देने से भी सरकार ने इनकार कर दिया। चीन की ओर से भी इस मामले में कोई जानकारी साझा नहीं की जा रही है।
20 समझौतों पर हस्ताक्षर, पर जानकारी नहीं
बताया जा रहा है कि मुइज्जू के जनवरी 2024 में चीन दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच कुल 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। लेकिन इन समझौतों की सामग्री और उनसे जुड़ी शर्तों को लेकर दोनों ही सरकारें चुप्पी साधे हुए हैं। हालाँकि, चीन की ओर से जानकारी देने से इनकार करने के बाद मालदीव सरकार ने कुछ समझौतों के बारे में आंशिक जानकारी दी है।
समझौतों के क्षेत्र और भारत की चिंता
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों देशों के बीच जिन क्षेत्रों में गुप्त समझौते हुए हैं, उनमें आर्थिक विकास नीति में सहयोग, डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना, बेल्ट एंड रोड पहल में तेजी लाना और हरित विकास में निवेश सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। इन गुप्त समझौतों ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। भारत को यह आशंका है कि चीन मालदीव में अपना प्रभाव बढ़ा सकता है, जो हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
भारत को उठाने होंगे कदम
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इन समझौतों में क्या शामिल है और इनका मालदीव और भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा। लेकिन इतना तय है कि इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत सरकार को इन समझौतों के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने और मालदीव के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
मालदीव और चीन के बीच क्या गुप्त समझौते हुए हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आर्थिक विकास नीति में सहयोग, डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना, बेल्ट एंड रोड पहल में तेजी लाना और हरित विकास में निवेश सहयोग को बढ़ावा देना जैसे क्षेत्रों में समझौते हुए हैं। हालांकि, इन समझौतों की पूरी सामग्री सार्वजनिक नहीं की गई है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
भारत को इन समझौतों से क्यों चिंता है?
भारत को चिंता है कि चीन मालदीव में अपना प्रभाव बढ़ा सकता है, जो हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। चीन पहले से ही इस क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, और मालदीव के साथ नजदीकी संबंध उसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकानों तक पहुंच प्रदान कर सकते हैं।
मालदीव सरकार इन समझौतों को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है?
मालदीव सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। कुछ का मानना है कि सरकार समझौतों की कुछ शर्तों को छिपाना चाहती है, जबकि अन्य का मानना है कि वह चीन के साथ अपने संबंधों को नुकसान पहुँचाने से डरती है।