मां संतोषी, भगवान गणेश की पुत्री हैं, जिन्हें सुख और संतोष की देवी के रूप में जाना जाता है. हिंदू धर्म में, उन्हें सौभाग्य और आंतरिक शांति लाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि शुक्रवार का दिन मां संतोषी को समर्पित है और इस दिन उनका व्रत रखने से सुख, समृद्धि, और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. आइए, इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि मां संतोषी का व्रत कैसे रखा जाता है, इसके लाभ क्या हैं, उद्द्यापन कैसे किया जाता है और व्रत के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
व्रत रखने का संकल्प मन में दृढ़ होना चाहिए. व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन ग्रहण करें और अगले दिन, शुक्रवार को, सूर्योदय से पहले उठें. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल को साफ करें और वहां एक चौकी या आसन बिछाएं. इस आसन पर मां संतोषी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें.
पूजा करने से पहले आवश्यक पूजन सामग्री एकत्र कर लें. इन सामग्रियों में शामिल हैं:
इन सामग्रियों के अलावा, आप अपनी श्रद्धा अनुसार अन्य चीजें भी शामिल कर सकते हैं.
पूजा सामग्री एकत्र करने के बाद, विधि-विधान से पूजा आरंभ करें:
पूजा स्थल को तैयार करने के बाद, आप अपनी इच्छानुसार मां संतोषी को 16 श्रृंगार भी चढ़ा सकते हैं. इन 16 श्रृंगारों में सिंदूर, कुमकुम, काजल, बिंदी, मेहंदी, कंगन, चूड़ियां, मांग टीका, नथ, बालियां, हार, कमरबंद, बिछिया, पायल, साड़ी और चुनरी शामिल हैं.
कुछ घरों में यह भी परंपरा है कि शुक्रवार की शाम को पूजा के बाद भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है. इससे वातावरण में भक्तिभाव का संचार होता है और मन को शांति मिलती है.
पूजा करने के बाद, व्रत का पालन करना आवश्यक है. व्रत के दौरान कुछ नियमों और संयम का पालन करना चाहिए:
शुक्रवार के पूरे दिन व्रत रखने के बाद, अगले दिन शनिवार को सूर्योदय से पहले उठकर व्रत का पारण करें. पारण करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद, पूजा स्थल पर जाएं और मां संतोषी की आरती करें. उन्हें भोग लगाएं और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें.
व्रत का पारण करने के बाद आप अपनी सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं और दान-पुण्य कर सकते हैं. इससे व्रत का फल और अधिक बढ़ता है.
मां संतोषी को प्रसन्न करने के लिए 16 शुक्रवार का व्रत रखना शुभ माना जाता है. 16 शुक्रवार पूरे होने के बाद उद्द्यापन करना चाहिए. उद्द्यापन का अर्थ है व्रत का पूर्ण समापन करना. उद्द्यापन के दिन पुनः पूजा करें और मां संतोषी को भोग लगाएं. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करें.
कुछ घरों में यह भी परंपरा है कि उद्द्यापन के दिन 16 कन्याओं को भोजन कराया जाता है. इन कन्याओं को सुहाग का समान (सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ियां आदि) भी भेंट किया जाता है. ऐसा करने से मां संतोषी और भी प्रसन्न होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मां संतोषी का व्रत रखने के अनेक लाभ हैं. माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आइए, जानते हैं व्रत के कुछ प्रमुख लाभ:
महत्वपूर्ण बातें: सावधानी और सफलता के लिए
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मां संतोषी का व्रत शुक्रवार के दिन रखा जाता है. शुक्रवार का दिन मां संतोषी को समर्पित माना जाता है और इस दिन उनका व्रत रखने से सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं.
मां संतोषी का व्रत रखने से कई लाभ होते हैं, जैसे:
मनोकामना पूर्ति: माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत रखने और मां संतोषी की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
पारिवारिक कलह का अंत: घर में शांति का वातावरण बनता है और कलह दूर होती है.
संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्तियों को भी मां संतोषी की कृपा से संतान प्राप्ति का सुख मिलता है.
धन-धान्य वृद्धि: व्यापार में वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
विवाह में आ रही बाधाएं दूर: विवाह में देरी हो रही है या विवाह से जुड़ी कोई समस्या है? मां संतोषी का व्रत विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है.
रोगों से मुक्ति: स्वस्थ रहना चाहते हैं? माना जाता है कि मां संतोषी की पूजा करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है.
माता संतोषी को प्रसन्न करने के लिए 16 शुक्रवार का व्रत रखना शुभ माना जाता है. 16 शुक्रवार पूरे होने के बाद उद्द्यापन करना चाहिए. उद्द्यापन का अर्थ है व्रत का पूर्ण समापन करना. उद्द्यापन के दिन पुनः पूजा करें और मां संतोषी को भोग लगाएं. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करें. कुछ घरों में उद्द्यापन के दिन 16 कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें सुहाग का समान भेंट किया जाता है.
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