हिंदू पंचांग के अनुसार, 25 फरवरी से फाल्गुन माह आरंभ होगा, जो 25 मार्च तक चलेगा।फाल्गुन का पवित्र महीना भगवान कृष्ण को समर्पित है, यह साल का अंतिम महीना है, जिसके बाद चैत्र माह से हिंदू नववर्ष यानी विक्रमी संवत की शुरुआत होती है। फाल्गुन माह वसंत ऋतु का प्रतीक है, जब प्रकृति नवीनता का रंग धारण करती है। यह रंगों, उत्साह और खुशियों का महीना माना जाता है।
यह महीना भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस माह में पूजा-पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कुछ विशेष कार्यों को करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रदेव का जन्म फाल्गुन माह में हुआ था। इस महीने में चंद्रदेव की पूजा और उन्हें अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है। फाल्गुन माह में भगवान शिव और श्रीकृष्ण की पूजा भी विशेष फलदायी होती है।
फाल्गुन माह में भगवान कृष्ण की पूजा करने के साथ-साथ उन्हें सुगंधित फूल भी चढ़ाने चाहिए। यदि किसी को अत्यधिक गुस्सा आता है, तो उसे भगवान कृष्ण को सुगंधित फूलों के साथ अबीर भी चढ़ाना चाहिए। इससे मन में खुशी का भाव जागृत होता है। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और घर-परिवार में खुशहाली आती है।
यदि कोई तनाव या मानसिक अशांति का सामना कर रहा है, तो उसे फाल्गुन माह में प्रतिदिन पानी में सुगंधित इत्र मिलाकर स्नान करना चाहिए। साथ ही, भगवान की पूजा करते समय चंदन का तिलक लगाना भी लाभदायक होगा।
यदि आपके घर में धन की कमी है और आप आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो फाल्गुन महीने के हर दिन देवी लक्ष्मी को लाल फूल चढ़ाएं। इससे मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी।
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फाल्गुन माह का महत्व बहुआयामी है। सबसे पहले, यह वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। चारों ओर हरियाली छा जाती है, प्रकृति खिल उठती है, और वातावरण में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक रूप से, इस महीने को भगवान कृष्ण से जोड़ा जाता है। उनकी पूजा की जाती है, भजन-कीर्तन किए जाते हैं, और उनकी लीलाओं को याद किया जाता है। इसके अलावा, होली जैसे प्रमुख त्योहार इस महीने ही मनाए जाते हैं, जो रंगों और उल्लास का उत्सव होता है। अंत में, यह महीना हिंदू नववर्ष की शुरूआत के करीब होता है, इसलिए सफाई, दान-पुण्य, और नए संकल्प लेने जैसे कर्मों का भी विशेष महत्व होता है।
भक्तिपूर्वक कृष्ण पूजा, चंद्रदेव को अर्घ्य, शिव पूजा, लक्ष्मी पूजा और गंगा स्नान शुभता लाते हैं।
कृष्ण पूजा में सुगंधित फूल और अबीर चढ़ाएँ, शांति के लिए चंदन का तिलक लगाएँ, दान से लक्ष्मी की कृपा पाएँ।
इस महीने शांति और सकारात्मकता बनाए रखना जरूरी है। अत्यधिक क्रोध से बचें और संयम रखें। मांसाहार और नशा करने से दूर रहें, क्योंकि ये शुद्धता के विरुद्ध माने जाते हैं। अपनी क्षमता और परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए गंगा स्नान करने का विचार करें। ध्यान रहे कि पूजा-पाठ किसी विद्वान के मार्गदर्शन में करें और किसी भी अंधविश्वास या झूठे उपायों में न फंसें। सच्ची श्रद्धा और अच्छे कर्मों पर ही जोर दें।
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