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निवेशक बाग़ी हुए! बायजू में तख्तापलट का माहौल, सीईओ बायजू रवींद्रन की कुर्सी खतरे में!

बायजू आज मुश्किलों के भँवर में फंसी हुई है। कंपनी की वैल्यू पिछले दो सालों में 22 अरब डॉलर से गिरकर महज 25 करोड़ डॉलर रह गई है। बड़े निवेशकों ने भी मोर्चा खोल दिया है और सीईओ बायजू रवींद्रन को कंपनी से बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं।

निवेशकों का गुस्सा और ईजीएम की मांग

बायजू के बड़े निवेशकों, जिनमें जनरल अटलांटिक, पीक-15 पार्टनर्स, सोफिना, चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव, आउल और सैंड्स शामिल हैं, का कहना है कि कंपनी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए वे इसके भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं। उनका आरोप है कि मौजूदा नेतृत्व और बोर्ड कंपनी को संभालने में नाकाम रहा है।

यही वजह है कि उन्होंने कंपनी की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड को एक नोटिस भेजकर असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाने की मांग की है। इस बैठक में कंपनी के बोर्ड को नए सिरे से गठित करने और कंपनी के नेतृत्व में बदलाव पर चर्चा होनी चाहिए। गौरतलब है कि अभी बायजू के बोर्ड में बायजू रवींद्रन, उनकी भाई रीजू रवींद्रन और पत्नी दिव्या गोकुलनाथ शामिल हैं।

वित्तीय संकट की जकड़न और अमेरिकी यूनिट का दिवालियापन

बायजू रवींद्रन की परेशानियां सिर्फ नेतृत्व तक ही सीमित नहीं हैं। कंपनी लंबे समय से गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी को बचाने के लिए रवींद्रन को बेंगलुरु स्थित दो घर और एक निर्माणाधीन विला गिरवी रखना पड़ा है। वहीं, व्यक्तिगत स्तर पर भी उन्होंने 40 करोड़ डॉलर का कर्ज लिया है। वित्त वर्ष 2022 में बायजू की मूल कंपनी को 8,245 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। कंपनी ने अभी तक वित्त वर्ष 2023 का लेखाजोखा भी घोषित नहीं किया है। इसके अलावा, बायजू की अमेरिकी यूनिट, बायजू’स फ्यूचर एजुकेशन, को भी दिवालियापन का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने अमेरिका में दिवालियापन कार्यवाही के लिए आवेदन किया है।

क्या बायजू रवींद्रन का होगा पलायन?

निवेशकों के इस रुख और कंपनी की खस्ताहालत को देखते हुए यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या बायजू रवींद्रन को कंपनी छोड़नी होगी? फिलहाल इस पर कोई ठोस जवाब नहीं है, लेकिन आने वाले दिनों में होने वाली ईजीएम कंपनी के भविष्य और रवींद्रन के पद पर बने रहने को लेकर महत्वपूर्ण फैसला ले सकती है।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

बायजू इतनी तेजी से नीचे कैसे गिरा?

तोंरात राजा से रंक नहीं बनी बायजू। इसकी मुख्य वजहें हैं:
आक्रामक विस्तार: कंपनी ने कम समय में कई बड़े संस्थानों का अधिग्रहण किया, जिससे उस पर भारी कर्ज का बोझ आ गया।
कोविड के बाद बदला हुआ बाजार: महामारी के बाद ऑनलाइन शिक्षा का बाजार धीमा पड़ा, जिससे बायजू की कमाई कम हुई।
प्रबंधन में संभावित चूक: कुछ निवेशकों का मानना है कि कंपनी का प्रबंधन खर्चों पर नियंत्रण रखने में नाकाम रहा, जिससे घाटा बढ़ा।

सीईओ रवींद्रन पर निवेशकों का गुस्सा क्यों?

निवेशकों का आरोप है कि रवींद्रन के नेतृत्व में कंपनी की वित्तीय स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती गई। साथ ही, उनके व्यक्तिगत कर्ज का बोझ बायजू की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। निवेशक बदलाव और नए नेतृत्व की मांग कर रहे हैं।

क्या बायजू दिवालियापन से बच पाएगा?

फिलहाल भविष्यवाणी करना कठिन है। उनके पास कुछ निवेशक बचे हैं और कंपनी ईजीएम के जरिए सुधार लाने की कोशिश कर रही है। लेकिन अगर वित्तीय स्थिति सुधर नहीं पाती और निवेशक कंपनी छोड़ देते हैं, तो दिवालियापन का खतरा बना रहेगा।

इसका शिक्षा क्षेत्र पर क्या असर होगा?

बायजू की परेशानी पूरे एडटेक क्षेत्र के लिए चिंताजनक है, क्योंकि इससे निवेशकों का भरोसा कम हो सकता है और पूरे क्षेत्र में निवेश घट सकता है। हालांकि, यह अन्य कंपनियों के लिए बेहतर प्रबंधन और रणनीति के जरिए बाजार में अपनी जगह बनाने का अवसर भी हो सकता है।

इस पूरे मामले से क्या सीख मिलती है?

बायजू के संकट से कई सबक लिए जा सकते हैं, जैसे:
आक्रामक विस्तार से पहले वित्तीय स्थिति का मजबूत होना जरूरी है।
बाजार के बदलावों को समझे बिना रणनीति बनाना हानिकारक हो सकता है।
पारदर्शी और मजबूत कॉर्पोरेट गवर्नेंस का पालन हर कंपनी के लिए जरूरी है।

Ankit Singh

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