हिंदू धर्म में तांबे के कलश का विशेष महत्व है। पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि तांबे के कलश पर कलावा क्यों बांधा जाता है? आइए जानते हैं इस विधि के पीछे छिपे धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व को।
कलावा लाल रंग का एक धागा होता है, जिसे कई बार लाल, पीले और हरे रंग के धागों को मिलाकर भी बनाया जाता है. इसे रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में कलावा को शुभ और पवित्र माना जाता है. कलाई पर इसे बांधने से नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तांबे के कलश पर कलावा बांधने के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं, जिनको हम नीचे विस्तार से समझेंगे:
तांबे के कलश पर कलावा बांधने के लिए सबसे पहले कलश को अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद, कलावे को कलश के मुख पर तीन बार लपेटें और गांठ लगा दें। ध्यान रहे कि कलावा बांधते समय लाल रंग ऊपर की तरफ होना चाहिए।
तांबे के कलश पर कलावा बांधना धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह न सिर्फ कलश की शुद्धता और पवित्रता बनाए रखता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी बढ़ाता है और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर रखता है।
यह भी पढ़ें
धन प्राप्ति और समृद्धि के लिए माता वैभव लक्ष्मी के 2 प्रभावशाली मंत्र
हवन की राख का क्या है धार्मिक महत्व ? क्या है इसके अन्य लाभ
राहु की महादशा कितने दिनों की होती है, इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए क्या करें ?
तांबे के कलश पर कलावा बांधने की एक सरल विधि है। सबसे पहले, कलश को अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें। इसके बाद, कलावे को कलश के मुख पर तीन बार लपेटें। लपेटते समय इस बात का ध्यान रखें कि कलावा का लाल रंग ऊपर की ओर रहना चाहिए। अंत में, कलावे को एक गांठ लगाकर कस दें।
परंपरागत रूप से, कलावा मुख्य रूप से तांबे के कलश पर ही बांधा जाता है। तांबे की खासियत है कि यह जल्दी शुद्ध होता है और जल्दी अशुद्ध भी हो जाता है। इसलिए कलावा इसकी शुद्धता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, कुछ पूजा-पाठों में अन्य धातुओं जैसे चांदी या पीतल के कलश का भी उपयोग किया जाता है। ऐसे में आप अपनी धार्मिक परंपरा या गुरु के निर्देशानुसार कलावा बांध सकते हैं।
कलावे का लाल रंग कई मायनों में शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि लाल रंग सकारात्मक ऊर्जा, शक्ति और शुभता का प्रतीक है। इसके अलावा, लाल रंग बुरी नजर से भी बचाता है। इसलिए कलावे का रंग ज्यादातर लाल ही रखा जाता है। हालांकि, कभी-कभी लाल, पीले और हरे रंग के धागों को मिलाकर भी कलावा बनाया जाता है। इन तीनों रंगों का भी अपना अलग महत्व माना जाता है।
कलावा एक सूती धागा होता है और समय के साथ घिसकर या किसी कारण से कट भी सकता है। अगर आपके पूजा के कलश पर बंधा हुआ कलावा कट जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप एक नए कलावे को विधि अनुसार बांध सकते हैं। कटे हुए कलावे को आप किसी पवित्र स्थान पर, जैसे मंदिर या नदी में प्रवाहित कर सकते हैं।
नवरात्रि के नौ पवित्र दिनों में से प्रत्येक दिन एक अलग देवी को समर्पित होता…
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक पवित्र त्यौहार है, जो नौ देवी रूपों की पूजा का…
कामदा एकादशी, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत और उत्सव है। यह भगवान विष्णु को…
चैत्र नवरात्रि, हिंदू धर्म के पावन पर्वों में से एक है। यह नौ दिनों तक…
आश्विन अमावस्या, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. यह हिंदू पंचांग के…
हिंदू धर्म में देवी मां की पूजा का विशेष महत्व है। पूजा की विधि विधान…