जूते-चप्पल ऐसी वस्तुएं हैं, जिनको रखने के लिए वास्तु में खास नियम बताए गए हैं। गलत दिशा में जूते रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सकता है, जिससे धन, स्वास्थ्य और रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, यह जानना आवश्यक है कि जूते-चप्पल रखने के लिए कौन सी दिशाएं शुभ मानी जाती हैं और किन दिशाओं से बचना चाहिए।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वास्तु शास्त्र पर आधारित यह जानकारी मार्गदर्शन के लिए है। किसी भी निर्णय को लेने से पहले किसी वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित होता है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, जूते-चप्पल रखने के लिए तीन सबसे अच्छी दिशाएं हैं:
दक्षिण-पश्चिम: यह दिशा राहु ग्रह से संबंधित है और नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद करती है। साथ ही, यह पृथ्वी तत्व से जुड़ी है, जो जूते जैसी वस्तुओं के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
पश्चिम: यह दिशा वरुण ग्रह से संबंधित है और धन-समृद्धि को बढ़ाने में सहायक मानी जाती है। यह सकारात्मक ऊर्जा के संचय के लिए भी शुभ मानी जाती है।
दक्षिण: यह दिशा यम ग्रह से संबंधित है और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है।
जूते-चप्पल रखने की दिशा के अलावा, कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए:
जूतों को हमेशा घर के बाहर जूते के रैक में ही रखें, घर के अंदर न रखें।
जूतों को नियमित रूप से साफ करें और टूटे-फूटे जूतों को घर में न रखें।
जूतों को हमेशा जोड़े में रखना शुभ माना जाता है।
जूते पहनकर कभी भी पूजा स्थल या रसोईघर में न जाएं।
घर के मुख्य द्वार के सामने जूते न रखें।
वास्तु शास्त्र विभिन्न परंपराओं पर आधारित एक मार्गदर्शक सिद्धांत है। जूते रखने की दिशा का पालन करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन माना जाता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है और नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है। यदि आप वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों में विश्वास रखते हैं, तो जूते रखने के लिए बताई गई दिशाओं का पालन कर सकते हैं।
यदि आप जूते रखने की दिशा के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं या आपके घर के लेआउट में कोई चुनौतियां हैं, तो किसी वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित होगा। वे आपके घर के लिए उपयुक्त जूता रैक स्थान निर्धारित करने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
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