हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले पवित्र त्योहारों में से एक है जया एकादशी। माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली यह तिथि भगवान विष्णु की अनंत कृपा पाने का अनुपम अवसर प्रदान करती है। 20 फरवरी 2024 को आने वाली इस पावन तिथि के बारे में विस्तृत जानकारी, शुभ मुहूर्त, योगों का अनुपम संयोग और भक्तिमय पूजन विधि आपके लिए प्रस्तुत है।
शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ – 19 फरवरी 2024, सुबह 8:49 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त – 20 फरवरी 2024, सुबह 9:55 बजे
- पारण मुहूर्त – 21 फरवरी 2024, सुबह 6:55 बजे से 9:11 बजे तक
आनंददायक योगों का मिलन
इस बार जया एकादशी पर प्रीति योग, आयुष्मान योग, त्रिपुष्कर योग और रवि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। ये योग इस दिन की पवित्रता को कई गुना बढ़ा देते हैं और व्रत के फल को और भी सकारात्मक बनाते हैं। प्रीति योग प्रेम और सौहार्द का आशीर्वाद देता है, आयुष्मान योग दीर्घायु का वरदान लेकर आता है, त्रिपुष्कर योग धन-धान्य की प्राप्ति कराता है और रवि योग यश और कीर्ति प्रदान करता है। इन योगों के प्रभाव से जया एकादशी का व्रत रखने वाले जातकों को मनचाहा फल प्राप्त होता है।
जया एकादशी महत्व और व्रत के लाभ
भगवान विष्णु को समर्पित जया एकादशी के व्रत से अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। पापों का नाश, मोक्ष की प्राप्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन इनमें से कुछ प्रमुख लाभ हैं। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के मन में पवित्रता और सकारात्मक विचार पनपते हैं, जिससे उसके जीवन की दिशा सकारात्मक रूप से परिवर्तित होती है।
पूजन विधि
- सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या मूर्ति का विधिवत स्थापना करें।
- पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें।
- तुलसी, गेंदा, कमल आदि पुष्प अर्पित करें।
- फल, खीर, पंचामृत आदि का भोग लगाएं।
- विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा या अन्य स्तोत्रों का पाठ करें।
- धूपबत्ती और दीप जलाकर आरती करें।
- दिनभर व्रत रखें और मन में भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- अगले दिन सुबह पारण काल में पूजा अर्चन के बाद व्रत का समापन करें।
जया एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की असीम कृपा पाने का सुनहरा अवसर है। शुभ मुहूर्त और दिव्य योगों के संयोग में किया गया यह व्रत आपके जीवन में खुशहाली, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति का द्वार खोल सकता है। तो आइए, इस पवित्र अवसर पर पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की भक्ति करें और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करें।
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पूछे जाने वाले प्रश्न
जया एकादशी कब है और इसका महत्व क्या है?
जया एकादशी माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जो इस साल 20 फरवरी 2024 को पड़ रही है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस व्रत के माध्यम से पाप कर्मों से मुक्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति, जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
जया एकादशी के शुभ मुहूर्त और योगों का क्या महत्व है?
इस साल एकादशी तिथि का प्रारंभ 19 फरवरी को सुबह 8:49 बजे हो रहा है और 20 फरवरी को सुबह 9:55 बजे तक रहेगा। पारण का शुभ मुहूर्त 21 फरवरी को सुबह 6:55 बजे से 9:11 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही इस एकादशी पर प्रीति योग, आयुष्मान योग, त्रिपुष्कर योग और रवि योग का अद्भुत संयोग बन रहा है। ये योग प्रेम, सफलता, धन-धान्य और यश-कीर्ति के आशीर्वाद देते हैं, जिससे व्रत के फल को और भी सकारात्मक बनाते हैं।
जया एकादशी की पूजा विधि क्या है?
सबसे पहले सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। एक चौकी लगाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। तुलसी, गेंदा, कमल आदि पुष्प चढ़ाएं। फल, खीर, पंचामृत आदि का भोग लगाएं। विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा या अन्य स्तोत्रों का पाठ करें। धूपबत्ती और दीप जलाकर आरती करें। दिनभर व्रत रखें और मन में भगवान विष्णु का ध्यान करें। अगले दिन सुबह पारण काल में पूजा अर्चन के बाद व्रत का समापन करें।
जया एकादशी व्रत रखने के क्या लाभ हैं?
इस व्रत के कई लाभ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
पापों का नाश और आध्यात्मिक शुद्धि
मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सफलता
सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति
दीर्घायु और आरोग्य का आशीर्वाद
नकारात्मक विचारों का त्याग और सकारात्मकता का संचार
क्या पहली बार व्रत रखने वाला व्यक्ति भी जया एकादशी का व्रत कर सकता है?
जी बिल्कुल। पहली बार व्रत रखने वाले भी जया एकादशी का व्रत कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि व्रत से पहले अपनी स्वास्थ्य स्थिति का अवलोकन करें और यदि कोई समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह लें। व्रत के दौरान सरल भोजन करें और पूरे दिन भगवान का ध्यान करते रहें। आपकी श्रद्धा और भक्ति ही व्रत को सफल बनाएगी।