ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर, अपनी भव्यता, आध्यात्मिकता और रहस्यों के लिए सदियों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता रहा है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को समर्पित यह मंदिर, न केवल हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, बल्कि इसके अनेक रहस्य इसे और भी विशिष्ट बनाते हैं। आइए, जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रमुख रहस्यों के बारे में:
मंदिर के शिखर पर लगा विशाल ध्वज सदैव हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। भले ही हवा कितनी भी तेज क्यों न हो, यह ध्वज सदैव विपरीत दिशा में ही फहराता रहता है। वैज्ञानिक अभी तक इस अद्भुत घटना का कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाए हैं। यह रहस्य श्रद्धालुओं के लिए भगवान की दिव्य शक्ति का प्रतीक बन गया है।
मंदिर के गर्भगृह में स्थित भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा पर सूर्य की किरणें सीधे नहीं पड़तीं, भले ही मंदिर के द्वार खुले हों। यह कैसे होता है, यह एक रहस्य ही बना हुआ है। वहीं, भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में लगी नीलमणि रात में भी चमकती रहती है। यह चमक प्राकृतिक है या कोई दिव्य चमत्कार, यह भी एक रहस्य है जो श्रद्धालुओं की आस्था को और मजबूत करता है।
मंदिर की विशाल रसोई में एक साथ सात मिट्टी के बर्तनों में भोजन पकाया जाता है। इन बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा जाता है, लेकिन सबसे ऊपरी बर्तन में रखा भोजन सबसे पहले पक जाता है। यह वैज्ञानिक दृष्टि से समझने में मुश्किल है और श्रद्धालुओं के लिए भगवान का चमत्कार माना जाता है।
मंदिर में प्रवेश करते समय, भक्तों को बाएं पैर से पहले प्रवेश करना होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और माना जाता है कि ऐसा करने से भक्तों को मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
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जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते समय श्रद्धालुओं को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
मंदिर में प्रवेश बाएं पैर से पहले करना चाहिए।
मंदिर के अंदर शांत और संयमित रहना चाहिए।
उचित वस्त्र पहनकर ही मंदिर में प्रवेश करना चाहिए।
जगन्नाथ मंदिर का इतिहास 12वीं शताब्दी का माना जाता है। मंदिर के निर्माण को लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं। मंदिर का निर्माण राजा अनंतवर्मन चोड़ा द्वारा करवाया गया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ स्वयं राजा अनंतवर्मन के सपने में आए थे और उन्हें इस मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था।
जगन्नाथ मंदिर में साल भर कई उत्सव मनाए जाते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
रथयात्रा: यह जगन्नाथ मंदिर का सबसे प्रसिद्ध उत्सव है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की विशाल रथों में शोभायात्रा निकाली जाती है।
नांद उत्सव: यह जन्माष्टमी के बाद आने वाला 12 दिवसीय उत्सव है, जिसमें भगवान जगन्नाथ को झूले में झुलाया जाता है।
जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पुरी में स्थित है। आप हवाई जहाज, ट्रेन या बस द्वारा पुरी पहुंच सकते हैं। पुरी पहुंचने के बाद मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी, रिक्शा या ऑटो रिक्शा का सहारा लिया जा सकता है।
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