खरमास हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवधि मानी जाती है। इस दौरान सूर्य देव बृहस्पति की राशि धनु या मीन राशि में संचरण करते हैं। खरमास को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। कुछ लोग इस दौरान शुभ कार्यों को करने से परहेज करते हैं, जबकि अन्य लोग इस अवधि का विशेष पूजा-अनुष्ठानों के लिए उपयोग करते हैं। इस लेख में हम खरमास के धार्मिक महत्व, तुलसी के पौधे के माहात्म्य और खरमास में तुलसी पूजा के विधान के बारे में विस्तार से जानेंगे।
खरमास को लेकर ज्योतिष शास्त्र में विस्तृत वर्णन मिलता है। सूर्य देव जब बृहस्पति की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब से खरमास की शुरुआत मानी जाती है। इस अवधि में सूर्य देव कमजोर माने जाते हैं। हिंदू धर्म में सूर्य को सौभाग्य, जीवन शक्ति और सफलता का कारक ग्रह माना जाता है। इसलिए माना जाता है कि खरमास के दौरान शुभ कार्यों के लिए ग्रहों की अनुकूलता कम रहती है। कई लोग विवाह, गृह प्रवेश, या कोई भी नया कार्य आरंभ करने से खरमास में परहेज करते हैं।
हालांकि, खरमास का एक अलग महत्व भी है। इस अवधि को आध्यात्मिक साधना और आत्मिक जागरण के लिए शुभ माना जाता है। चूंकि खरमास के दौरान बाहरी कार्यों में कुछ बाधाएं आ सकती हैं, इसलिए लोग इस समय का उपयोग भगवान की भक्ति और आत्म-चिंतन में लगा सकते हैं।
सूर्य देव जब बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तब से खरमास की शुरुआत होती है। 14 मार्च 2024 को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे खरमास शुरू होगा। 13 अप्रैल 2024 को खरमास समाप्त होगा।
हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा बहुत पवित्र माना जाता है। तुलसी को मां लक्ष्मी का प्रिय पौधा माना जाता है। तुलसी के पत्ते पूजा-अनुष्ठानों में शुभ माने जाते हैं। तुलसी का पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और वातावरण को शुद्ध रखता है। आयुर्वेद में भी तुलसी के औषधीय गुणों का वर्णन मिलता है। तुलसी के पत्तों में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
खरमास में यद्यपि विवाह, मुंडन या गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों को करने से परहेज किया जाता है, लेकिन इस दौरान तुलसी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। तुलसी पूजा से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। खरमास में तुलसी पूजा के लिए निम्नलिखित विधान का पालन किया जा सकता है:
क्या ना करें:
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव जब बृहस्पति की राशि धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब एक विशेष अवधि का आरंभ होता है। इस अवधि को कुछ लोग विवाह, गृह प्रवेश या अन्य मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं मानते।
इस अवधि में सूर्य देव को कमजोर अवस्था में माना जाता है। हिंदू धर्म में सूर्य को सौभाग्य, जीवन शक्ति और सफलता का कारक ग्रह माना जाता है। अतः माना जाता है कि सूर्य कमजोर होने पर ग्रहों की अनुकूलता कम हो जाती है, जिससे शुभ कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं।
ऐसा नहीं है। यद्यपि विवाह, मुंडन या गृह प्रवेश जैसे कुछ कार्यों को टालने की सलाह दी जाती है, लेकिन यह अवधि आध्यात्मिक साधना के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। लोग इस समय का उपयोग भगवान की भक्ति, ध्यान और आत्म-चिंतन में लगा सकते हैं।
तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। तुलसी को मां लक्ष्मी का प्रिय पौधा माना जाता है। तुलसी के पत्ते पूजा-अनुष्ठानों में शुभ माने जाते हैं। तुलसी का पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और वातावरण को शुद्ध रखता है। आयुर्वेद में भी तुलसी के औषधीय गुणों का वर्णन मिलता है।
इस अवधि में यद्यपि मांगलिक कार्यों को करने से परहेज किया जाता है, लेकिन तुलसी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। तुलसी पूजा से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। तुलसी पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वातावरण शुद्ध होता है।
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