जगन्नाथ मंदिर पुरी में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जिनमें से एक तीसरी सीढ़ी और यमराज के बीच संबंध के बारे में है। आइए, इस रहस्य को दो प्रमुख मान्यताओं के माध्यम से समझने का प्रयास करें।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से लोगों के पाप दूर हो जाते थे। इससे यमराज चिंतित हो गए, क्योंकि यदि सभी पापमुक्त हो गए, तो यमलोक में कौन आएगा?
यमराज की चिंता को दूर करने के लिए, भगवान जगन्नाथ ने उन्हें मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण करने का आदेश दिया। यह माना जाता है कि जो कोई भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन के बाद उस सीढ़ी पर पैर रखेगा, उसके सभी पुण्य नष्ट हो जाएंगे और उसे यमलोक जाना होगा। इसी वजह से, इस सीढ़ी को “यम शिला” या “पाप शिला” के नाम से जाना जाता है।
कुछ लोगों का मानना है कि तीसरी सीढ़ी का निर्माण भगवान जगन्नाथ के भक्तों की परीक्षा लेने के लिए किया गया था। यह माना जाता है कि जो भक्त भगवान जगन्नाथ के प्रति पूर्ण समर्पित होते हैं, वे इस सीढ़ी पर कदम रखने से नहीं डरते। उन्हें विश्वास होता है कि भगवान उन्हें यमलोक से बचाएंगे।
आज के समय में, अधिकांश लोग सावधानी के तौर पर तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से बचते हैं, चाहे वे किसी भी मान्यता को मानते हों। ऐसा करने का उद्देश्य भगवान जगन्नाथ के दर्शन का पूर्ण लाभ प्राप्त करना होता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सभी मान्यताएं लोकप्रिय हैं और इनके पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। धार्मिक विषयों को व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर समझा जाना चाहिए।
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आजकल, ज्यादातर लोग किसी भी मान्यता को मानने के बावजूद सावधानी के तौर पर तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से बचते हैं। ऐसा करने का मुख्य कारण भगवान जगन्नाथ के दर्शन का पूरा लाभ प्राप्त करना होता है।
नहीं, इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि यमराज मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर विराजते हैं। ये सभी मान्यताएं लोकप्रिय धारणाओं पर आधारित हैं और इन्हें आस्था के साथ ही देखा जाना चाहिए।
जगन्नाथ मंदिर की कुल सीढ़ियों की संख्या 22 है, जिनमें से तीसरी सीढ़ी को लेकर ये मान्यताएं प्रचलित हैं।
इस बारे में कोई निश्चित नियम नहीं है। कुछ पुजारी सावधानी के तौर पर तीसरी सीढ़ी से बचते हैं, जबकि कुछ अन्य सीढ़ी को छूकर ही दर्शन करते हैं। यह पूरी तरह से व्यक्तिगत विश्वास और आस्था पर निर्भर करता है।
जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी से जुड़ी दो प्रमुख मान्यताएं प्रचलित हैं। पहली मान्यता के अनुसार, यह सीढ़ी “यम शिला” या “पाप शिला” के नाम से जानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पैर रखता है, उसके सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं और उसे यमलोक जाना पड़ता है। दूसरी मान्यता के अनुसार, यह सीढ़ी भक्तों की भगवान जगन्नाथ के प्रति समर्पण की परीक्षा लेती है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे भक्त इस सीढ़ी पर कदम रखने से नहीं डरते क्योंकि उन्हें भगवान की रक्षा पर पूरा भरोसा होता है।
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