एकादशी

एकादशी के दिन क्यू नहीं खाते चावल जानिये इसके पीछे की पौराणिक कथा

एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भक्त उपवास करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है, जिसके पीछे कई धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण बताए जाते हैं। आइए, इन कारणों को विस्तार से समझते हैं।

एकादशी के दिन क्यू नहीं खाते चावल पौराणिक कथा

पौराणिक कथा

  • महर्षि मेधा की कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि मेधा माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए भाग रहे थे। भयभीत होकर उन्होंने योगबल से अपना शरीर त्याग दिया। उनकी मेधा पृथ्वी में समा गई और उसी स्थान पर जौ और चावल के रूप में पुनः प्रकट हुई। चूंकि यह घटना एकादशी के दिन घटी थी, इसलिए जौ और चावल को महर्षि मेधा की मेधा शक्ति का प्रतीक माना जाता है और उन्हें जीव माना जाता है। इस वजह से चावल का सेवन वर्जित होता है।
  • भगवान कृष्ण और एकादशी: एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने भी एकादशी का व्रत रखा था। व्रत के दौरान उन्हें अत्यधिक भूख लगी, लेकिन उन्होंने चावल का त्याग किया और फल व दूध का सेवन किया। इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि इस दिन चावल का त्याग करके हम भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
  • पाप से मुक्ति: एकादशी व्रत को पापों का नाश करने वाला माना जाता है। इस दिन चावल का त्याग करके हम अपने मन को शुद्ध कर सकते हैं। चूंकि चावल को कभी-कभी “पाप” का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए इस दिन चावल का सेवन न करने से हमें पापों से मुक्ति मिलती है।

आध्यात्मिक महत्व

एकादशी का व्रत हमें आत्म-संयम, त्याग और सदाचार की शिक्षा देता है। चावल का त्याग करके हम यह सीखते हैं कि इंद्रियों को वश में रखना और सांसारिक सुखों का त्याग करना जीवन में आवश्यक है। यह व्रत हमें आध्यात्मिक विकास की राह पर अग्रसर करता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी एकादशी के दिन चावल न खाने के कुछ फायदे हैं। चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। इस दिन चावल न खाने से शरीर में ऊर्जा का स्तर कम होता है, जिसके कारण शरीर में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इससे शरीर को आराम मिलता है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।

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पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या एकादशी के दिन सिर्फ चावल ही वर्जित हैं?

एकादशी व्रत में मुख्य रूप से अन्न का त्याग किया जाता है, जिसमें चावल, गेहूं, जौ, मूंग, उड़द आदि शामिल हैं। इसके अलावा, लहसुन, प्याज, मांस, मछली और शहद का सेवन भी वर्जित होता है। हालांकि, फल, सब्जियां, दूध और दही का सेवन किया जा सकता है।

क्या एकादशी का व्रत रखना अनिवार्य है?

एकादशी का व्रत रखना व्यक्तिगत आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है। यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन कई लोग धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए इस व्रत का पालन करते हैं।

क्या एकादशी के व्रत में कुछ विशेष नियम हैं?

एकादशी के व्रत में कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है। इनमें सुबह जल्दी उठना, स्नान करना, भगवान विष्णु की पूजा करना, सात्विक भोजन करना, शाम को भी पूजा करना, और सत्य बोलना, क्रोध न करना, चोरी न करना, व्यभिचार न करना और लोभ न करना जैसे नियम शामिल हैं।

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